सुप्रीम कोर्ट में अपने ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर करने वाले सीबीआई अधिकार मनीष कुमार सिन्हा के दावों से हड़कंप मच गया है। जानकारी सामने आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय में सोमवार (19 नवंबर) को ‘आपातकालीन’ बैठकों का दौर शुरू हो गया। द टेलीग्राफ में छपी रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सिन्हा की याचिका के दावों से सरकार के कई शीर्ष अधिकारी ‘स्तब्ध’ रह गए। अखबार ने इस अधिकारी के हवाले से लिखा, ”उच्चतम न्यायालय में विस्फोटक याचिका के कुछ देर बाद ही, शीर्ष पीएमओ अधिकारी बैठकों में व्यस्त रहे। इस पर मंथन होता रहा कि आरोपों का जवाब कैसे दिया जाए।”
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव, पीके मिश्रा ने बैठक की अध्यक्षता की। गुजरात कैडर के 1972 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी, मिश्रा 2001 से 2009 तक सीएम रहे मोदी के प्रधान सचिव रहे हैं। अखबार ने अधिकारी के हवाले से कहा है कि बैठक देर शाम तक जारी रही। संभावना है कि मंगलवार (21 नवंबर) को अदालत इस याचिका पर सुनवाई कर सकती है। अधिकारी ने कहा, ”शीर्ष अधिकारियों ने याचिका के संभावित असर और आरोपों के जवाबों पर चर्चा की। हालात को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट सरकार से याचिका में लगाए गए आरोपों पर जवाब मांग सकता है। उन्होंने अदालत में सरकार के उत्तर पर मंथन किया।”
सिन्हा ने एक कारोबारी के हवाले से दावा किया है कि कोयला एवं खदान राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी ने ‘एक मामला निपटाने के लिए कुछ करोड़ रुपये की घूस’ ली। मंत्री ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। सिन्हा ने यह भी कहा कि उन्हें बताया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोवाल ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जारी जांच में दखल दी। सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका लगाई है, उसमें केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी, कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा और कानून सचिव सुरेश चंद्रा का भी जिक्र किया गया है। अब तक प्रधानमंत्री ने सीबीआई में जारी घमासान पर कोई टिप्पणी नहीं की है।