भोपाल ! गुजरात के कारखाने में काम करके सिलिकोसिस की जद में आए मध्य प्रदेश के दो जिलों झाबुआ और अलीराजपुर के मजदूरों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका पर चल रही सुनवाई में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट शपथ पत्र के साथ पेश की। सामाजिक संगठन नई शुरुआत और जन स्वास्थ्य अभियान की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति में बताया गया है कि सिलिकोसिस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष स्वयं उपस्थित हुए।
उन्होंने बताया कि विभाग की टीम द्वारा गोधरा व बालासिन्नौर के कारखानों की जांच रिपोर्ट तैयार की गई है जो कि न्यायालय में शपथपत्र के साथ पेश की गई है। इस रिपोर्ट पर गुजरात सरकार को कार्यवाही करने को कहा गया था। नई शुरुआत और जन स्वास्थ्य अभियान के मुताबिक, सिलिकोसिस से मृत 238 परिवारों के निकट संबंधियों को मुआवजे का सर्वोच्च न्यायालय पूर्व में ही निर्देश दे चुका है। इसी संदर्भ में गुजरात सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश के अलीराजपुर और झाबुआ जिलों के जिलाधिकारियों को मुआवजा राशि दी गई है। इस पर न्यायालय ने गुजरात सरकार को शपथ-पत्र प्रस्तुत करने को कहा है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने चार मई 2016 को सिलिकोसस मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए बीमारी से मृत 238 लोगों के निकट संबंधियों को तीन लाख रुपये मुआवजा तथा 304 पीडि़तों के पुनर्वास का आदेश गुजरात एवं मध्य प्रदेश सरकार को दिया था। हाल ही में नई शुरुआत और जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार प्रदेश के अलीराजपुर, धार व झाबुआ जिलों के 105 गांवों में सिलिकोसिस प्रभावितों की संख्या 1,721 तक पहुंच गई है, जिनमें 589 की मौत हो चुकी है, यह अध्ययन रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में पेश की जा चुकी है।