भोपाल ! मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल सेंट्रल जेल से भागे सिमी के खतरनाक आतंकियों का खात्मा करने के लिये पुलिस का अभिनंदन करते हुए जनता की सुरक्षा करते हुए शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों के लिये श्रद्धानिधि बढ़ाकर 25 लाख रूपये करने की घोषणा की।
कल यहां आयोजित मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई निधि शहीद रमाशंकर यादव के परिवार को भी दी जायेगी। इस परिवार की बेटी पूरे प्रदेश की बेटी है। उसकी शादी सब मिलकर करेंगे। उन्होंने सिमी आतंकियों से मुठभेड़ में भाग लेने वाले प्रत्येक जवान को दो लाख रूपये की सम्मान निधि और सर्चिंग में शामिल जवान को एक लाख रूपये की सम्मान निधि से सम्मानित करने की भी बात कही। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने पुलिस का सहयोग करने वाले नागरिकों को 40 लाख रूपये देने की घोषणा की। यह राशि इन नागरिकों में बराबर-बराबर बाँटी जायेगी। उन्होंने समारोह में उपस्थित जन-समुदाय से पूछा कि पुलिस ने आतंकियों को मारकर सही किया या गलत, तो उपस्थित नागरिकों ने एक स्वर में जोर से कहा कि सही किया। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिन नागरिकों को मुख्यमंत्री ने पुलिस का सहयोग करने और जागरूकता का परिचय देने के लिये सम्मानित किया उनमें मोहन मीणा, पदमसिंह मीणा, ज्ञानसिंह मीणा, विनोद मीणा, राजेश देव एवं अन्य शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने उन पुलिस अधिकारियों को भी सम्मानित किया जिन्होने आतंकियों को मारने में मुख्य भूमिका निभाई। इनमें पुलिस महानिरीक्षक एटीएस संजीव शमी, आईजी योगेश चौधरी, उप पुलिस महानिरीक्षक रमनसिंह सिकरवार शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों को सजा देने के लिये देश में फास्ट ट्रेक कोर्ट की स्थापना करने पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आखिर आतंकवादी कब तक विचाराधीन रहेंगे। यह विचारणीय है। मुख्यमंत्री ने तल्ख लहजे में कहा कि मध्यप्रदेश सबके कल्याण की कामना करता है।
भोपाल जेल में अप्रिय घटना की आशंका विभाग को पहले से थी!
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के केंद्रीय जेल में बंद प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के विचाराधीन कैदियों द्वारा अप्रिय हरकत किए जाने को लेकर जेल विभाग को पहले से आशंका थी, इसलिए विभागीय अधिकारियों ने जेल प्रशासन को सिमी के विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा के संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किए थे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गत माह अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) सुशोभन बनर्जी ने जेल की सुरक्षा और सिमी के विचाराधीन कैदियों पर खास नजर रखने के निर्देश दिए थे। उनकी ओर से दिए गए निर्देशों में साफ कहा गया था कि जिन बैरकों में सिमी के विचाराधीन कैदी हैं, उनके ताले बदल-बदलकर इस्तेमाल किए जाएं। इतना ही नहीं अफसर भी इन चीजों की लगातार निगरानी करें।
सूत्रों के अनुसार, बनर्जी ने जेल अधीक्षक को अलर्ट जारी करते हुए कहा था कि सिमी के विचाराधीन कैदियों पर खास ध्यान रखा जाए और उनकी मुलाकातों पर बंदिश लगाई जाए। इसके साथ ही पूर्व के निर्देशों पर अमल किया जाए, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
भोपाल जेल की सुरक्षा को लेकर जारी किए गए निर्देशों में कहा गया था कि बैरक के बंदियों की अदला-बदली की जाए, बाहरी दीवार के आसपास गश्त बढ़ाई जाए और झाडिय़ां काटकर हटाई जाएं। सूत्रों का कहना है कि विभागीय अधिकारी द्वारा जारी अलर्ट के बाद पुलिस मुख्यालय से विशेष सुरक्षा बलों की मांग जरूर की गई और बंदियों से मुलाकात पर रोक लगाई गई, मगर शेष निर्देशों पर अमल नहीं हुआ।
भोपाल के पुलिस महानिरीक्षक योगेश चौधरी ने भी माना है कि सिमी के विचाराधीन कैदियों ने प्लास्टिक और लकड़ी की चाबियों के सहारे बैरक के ताले खोले थे। अगर ताले बदलने के निर्देशों पर अमल किया गया होता तो शायद तालों को खोलना संभव नहीं हो पाता और इसके अलावा सुरक्षा ड्यूटी पर अगर रमाशंकर व चंदन के अलावा कुछ और सुरक्षा प्रहरी तैनात होते और अधिकारियों ने निगरानी की होती तो बंदियों को जेल से भागना आसान नहीं होता।
ज्ञात हो कि दिवाली की रात सिमी के आठ विचाराधीन कैदी प्रहरी रमाशंकर यादव की गला रेतकर हत्या करने के बाद फरार हो गए थे। फरार होने के आठ घंटे बाद ही सभी आठों को शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पुलिस के संयुक्त दल ने मुठभेड़ में मार गिराया था।
मप्र सरकार को एक अफसर ने 2 वर्ष पहले ही चेताया था
भोपाल। मध्य प्रदेश के एक जेल अधिकारी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भोपाल केंद्रीय जेल की सुरक्षा को लेकर आगाह किया था और यहां तक लिखा था कि अगर जेल में कुछ नहीं हो रहा है तो वह भगवान की कृपा के चलते। तत्कालीन अतिरिक्त महानिरीक्षक (जेल) जी. के. अग्रवाल ने बुधवार को संवाददाताओं के साथ चर्चा करते हुए स्वीकार किया ।
अग्रवाल ने दो वर्ष पूर्व सिमी के विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा को लेकर पूर्व मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा था, जेल में कोई घटना नहीं हो रही है, तो यह न माना जाए कि सुरक्षा-व्यवस्था पुख्ता है। यह तो सिर्फ भगवान की कृपा है, भगवान हमेशा मदद करता रहेगा, ऐसा नहीं है।
अग्रवाल ने यह पत्र वर्ष 2013 में खंडवा जेल से सिमी कार्यकर्ताओं के फरार होने के बाद लिखा था। खंडवा की घटना के लिए उन्होंने जेल मुख्यालय को जिम्मेदार ठहराया था।
अग्रवाल ने कहा था, भोपाल केंद्रीय जेल का हाल यह है कि यहां जो काम प्रहरी को करना चाहिए, वह कैदी निभा रहे हैं। इससे आगे वह कुछ भी कहना नहीं चाहते। अग्रवाल ने इस पत्र की प्रति एनएसए और आईबी प्रमुख को भी भेजी थी।