ग्वालियर। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में वचन पत्र में किए गए वादे पूरे न होने की स्थिति में सडक पर उतरने वाले बयान को पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को फिर दोहराया है। उनके इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को कहा था- तो उतर जाएं। जिसके बाद से कांग्रेस में सियासी पारा चढा हुआ है। रविवार देर रात ग्वालियर आए सिंधिया ने रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मैं जनसेवक हूं और जनता के मुद्दों के लिए लडना मेरा धर्म है। मैंने पहले भी कहा है कि सब्र रखना है, क्योंकि अभी एक साल हमें प्रदेश की सत्ता में हुआ है।
लेकिन लोगों से किए गए हर वचन को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है और इसे पूरा करना होगा। वचन पूरे न होने की स्थिति में हम बिल्कुल सडक पर उतरेंगे। 13 फरवरी को टीकमगढ में अतिथि शिक्षकों के एक कार्यक्रम में सिंधिया ने कहा था कि वचन पत्र हमारे लिए ग्रंथ है और इसका एक-एक वाक्य पूरा न हुआ तो खुद को सडक पर अकेला मत समझना। मैं भी सडक पर उतरूंगा। इस बयान के बाद जहां कांग्रेस में अंतर्कलह बढ गई है, वहीं भाजपा ने इस बयान की आड में प्रदेश सरकार को घेरना शुरू कर दिया।
सिंधिया खेमे की मंत्री इमरती देवी उनके समर्थन में उतर आई है। उन्होंने कहा कि वचन-पत्र में वादे अकेले सिंधिया ने नहीं, राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और हम सबने किए हैं। सिंधिया सड़कों पर उतरे तो उनके साथ पूरे हिंदुस्तान की कांग्रेस उतरेगी, मुख्यमंत्री भी उनके साथ हैं। बाद में वे संभली और कहा कि जब वचन पत्र के काम पूरे कर रहे हैं, तो सड़कों पर उतरने की जरूरत नहीं है।
सामान्य प्रशासन मंत्री डा. गोविंद सिंह ने सिंधिया के बयान पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि उनको सड़कों पर उतरने के बजाए सोनिया गांधी और कमलनाथ से बात करना चाहिए। घर में बैठकर वे अपनी बात रख सकते हैं। सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सिंधिया के सड़कों पर उतरने को लेकर कहा है तो सोच समझकर कहा होगा। सिंधिया देश और प्रदेश के बड़े नेता हैं उनका पार्टी में बड़ा कद है। उन्हें सड़कों पर उतरने की क्या जरूरत। यह काम जनता ने भाजपा और शिवराज को सौंपा है। हमें तो (कुर्सी) सत्ता सौंपी है। इसलिए जनता की सेवा करें।
इधर, सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया ने कहा कि सिंधिया का अपनी बात कहने का अपना स्टाइल है, जबकि कमलनाथ बात कम करते हैं और काम ज्यादा करते हैं। भाजपा ने पिछले 15 सालों में प्रदेश को किस हालत में छोड़ा है, यह किसी से छुपा नहीं है। बावजूद इसके हमने 365 दिन में 365 वादे पूरे किए है। बाकी जो भी वादे रह गए हैं साल दो साल में पूरे हो जाएंगे।
दरअसल, 4 दिन पहले सिंधिया ने टीकमगढ़ में कहा था कि घोषणा पत्र में किया गया एक-एक वाक्य पूरा न हुआ तो वे सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने यह बात अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण को लेकर कही थी। इसके बाद एक दिन पहले शनिवार को दिल्ली में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने को-आर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग के बाद तल्ख लहजे में कहा था कि सिंधिया को सड़कों पर उतरना है तो उतरें।