गुना। सिंधिया राजघराने का गढ़ मानी जाने वाली गुना-शिवपुरी सीट पर चुनाव जीतना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। सिंधिया परिवार के सदस्य इस सीट से 14 बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। जिनमें वर्तमान सांसद ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया और दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी शामिल हैं। चुनावी आंकड़े बताते हैं कि जब भी यहां से सिंधिया राजघराने का सदस्य चुनाव लड़ा, तब वही जीता है। चाहे वह किसी दल से खड़ा हुआ हो।
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर 1957 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीता था। 1967 में वे स्वतंत्र पार्टी और 1989, 1991, 1996, 1998 में वे भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीतीं। उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने 1971 में भारतीय जनसंघ, 1977 में निर्दलीय, 1980, 1999 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता। इसके बाद 2002 से उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार कांग्रेस के टिकट पर जीतते आ रहे हैं।
अहम बात तो यह है कि सिंधिया राजघराने के सदस्य दो अलग-अलग राजनीतिक दलों से जुड़े होने के बाद भी कभी एक-दूसरे के खिलाफ न तो चुनाव लड़ते और न ही प्रचार करते। जब राजमाता यहां से चुनाव लड़ती थीं, तो बेटा माधवराव ग्वालियर से लड़ते रहे। अब ज्योतिरादित्य के खिलाफ उनकी बुआ और शिवपुरी से भाजपा विधायक यशोधरा राजे सिंधिया भी कभी प्रचार नहीं करतीं। भाजपा की विजय संकल्प यात्रा पर निकले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के शिवपुरी और गुना के कार्यक्रमों में भी उन्होंने भागीदारी नहीं की।
ऐसे में भाजपा के लिए कोई दमदार चेहरा तलाशना भी बड़ा मुश्किल है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने संगठन से मांग की है कि शिवराज सिंह को सिंधिया के खिलाफ उतारा जाए। कांग्रेस बाहरी होने का मुद्दा उछाल सकती है। ऐसे में कुछ ने स्थानीय प्रत्याशी को टिकट देने की मांग की है।
तीन जिलों की आठ सीटें हैं शामिल
गुना जिला-गुना, बमोरी
शिवपुरी जिला-शिवपुरी, कोलारस, पिछोर
अशोकनगर जिला- अशोकनगर, चंदेरी, मुंगावली
वादे जो पूरे नहीं हुए
-गुना, शिवपुरी, अशोक नगर में उद्योगों की कमी की वजह से लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
-बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है।
-भ्रष्टाचार के कारण आदिवासियों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा।
-10 साल से चली आ रही मांग के बावजूद गुना में रिंग रोड और स्टेडियम नहीं बन सका।
-संध नदी से रेत का अवैध खनन बेरोकटोक जारी है।
-दुष्कर्म, लूट आदि की वारदातें बढ़ गई हैं।
वादे जो पूरे हुए
-गुना में 72 करोड़ रुपए की नल-जल योजना से पूरे शहर को पानी मिला।
-शिवपुरी में 2 अरब 8 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज बनाया गया।
-मावन गांव में 90 बीघा जमीन पर मसाला उद्योग लगाए जा रहे हैं, जिससे रोजगार बढ़ने की उम्मीद है।
-आदिवासी बाहुल्य मारकी महू गांव में 60 करोड़ की लागत से श्रमोदय विद्यालय के लिए प्रक्रिया शुरू।
-बमोरी में शासकीय विधि कॉलेज स्थापित किया जा रहा है।
पत्नी और बेटे के हाथ में कमान
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी पश्चिमी उप्र के प्रभारी होने से वहां व्यस्त हैं। गुना सीट पर उनके चुनावी प्रचार की कमान पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया, बेटे महाआर्यमन और कार्यकर्ताओं ने संभाल रखी है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव योगेंद्र लुंबा का कहना है कि हमने पोलिंग बूथ स्तर तक तैयारी की है। कांग्रेस यह सोचकर चुनाव लड़ रही है कि यहां से शिवराज सिंह चौहान भाजपा प्रत्याशी होंगे।
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर सबसे अधिक 2 लाख 30 हजार आदिवासी मतदाता हैं। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल आदिवासियों को लुभाने के लिए छत्तीसगढ़ से उनके गुरुओं को भी बुलाते हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति के 2 लाख 13 हजार, ब्राह्मण 1 लाख 8 हजार, धाकड़-किरार 1 लाख 40 हजार, यादव 1 लाख 10 हजार, रघुवंशी 25 हजार और मुस्लिम मतदाता 23 हजार हैं।