उज्जैन ! मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दूसरे शाही स्नान के दौरान तेज आंधी और बारिश से व्यवस्था चरमराने के बावजूद लाखों लोगों ने सोमवार को क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाई। कुंभ मेले पर लगातार दूसरी बार पड़ी प्रकृति की वक्रदृष्टि से कई पंडाल धराशायी हो गए, पेड़ व एक टावर गिरा, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और सात लोगों को चोटें आई हैं।
कुंभ के दूसरे शाही स्नान के दौरान सोमवार की सुबह से ही क्षिप्रा नदी में स्नान के लिए लाखों लोगों के उज्जैन पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। परंपरा के मुताबिक, विभिन्न अखाड़ों ने सुबह चार बजे से दोपहर एक बजे तक स्नान किया। उसके बाद ही रामघाट और दत्त अखाड़ा घाट पर आमजनों के स्नान का सिलसिला शुरू हुआ।
आम श्रद्धालु स्नान में जुटे ही थे, तभी आसमान में काली घटा छाने लगी और दोपहर दो बजे के बाद अचानक चली आंधी, बारिश और ओले गिरने से मेला क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। पंडालों में पानी भर गया, कुछ पंडाल गिर गए।
रामघाट पर सीवर लाइन के फूट जाने से गटर का गंदा पानी सीधे क्षिप्रा में पहुंचा, इस पर साधु-संतों व श्रद्धालुओं ने नाराजगी जताई। अक्षय तृतीया के कारण ज्यादा भीड़ के चलते जगह-जगह जाम लग गया।
आधिकारिक तौर बताया गया है आंधी व बारिश के कारण एक व्यक्ति की मौत हुई है और अन्य सात लोग घायल हुए हैं। घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। जो पंडाल गिरे हैं, उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि गुरुवार को भी तेज आंधी और बारिश हुई थी, तब सात सौ पंडाल ढह गए थे, सात लोगों की मौत हुई थी और 100 लोग घायल हुए थे। अभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किए जाने का अभियान चल ही रहा था कि दोबारा फिर प्रकृति ने व्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया है।
सोमवार को दूसरे शाही स्नान के मौके पर सुबह से ही अखाड़ा क्षेत्रों से निकली साधु-संतों की टोलियां से उज्जैन की हर सड़क पर धर्म और संस्कृति के रंग बिखर गए। हाथ में भाला, पताकाएं लिए चल रहे साधु-संतों की टोलियां द्वारा जय महाकाल और हर हर क्षिप्रा के जय घोष करने से पूरा क्षेत्र भक्ति मय हो गया। रामघाट और दत्त अखाड़ा घाट पर दोपहर एक बजे तक अखाड़ों का स्नान चला।
उज्जैन के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि पहले शाही स्नान और अब दूसरे शाही स्नान में भी सभी 13 अखाड़ों ने स्नान कर लिया। कम ही ऐसे मौके आए हैं, जब सभी 13 अखाड़ों ने स्नान किया हो। दूसरे शाही स्नान में सिंह ने रिकार्ड श्रद्धालुओं के पहुंचने का दावा किया।
दूसरा शाही स्नान अक्षय तृतीया के दिन होने के कारण बड़ी संख्या में आमजन यहां पहुंचकर क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाते रहे। यह क्रम पूरे दिन चला। क्षिप्रा में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए देश के विभिन्न स्थानों से हजारों श्रद्धालु रविवार की रात से ही उज्जैन पहुंचने लगे थे।
ज्ञात हो कि सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत 22 अप्रैल को पहले शाही स्नान से हुई थी। इस शाही स्नान में हुई कुछ अव्यवस्थाओं के कारण साधु-संतों ने नाराजगी जताई थी।
अखाड़ा परिषद के नरेंद्र गिरी ने भी कहा कि पिछले शाही स्नान की तुलना में इस बार की व्यवस्थाएं बेहतर हैं। साधु-संतों को किसी तरह की असुविधा नहीं हो रही है। वहीं कुछ साधुओं ने स्नान के दौरान पुलिस के व्यवहार से नाराज होकर रामघाट पर हंगामा किया और विरोध दर्ज कराया। उन्हें मनाने जिले के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह और पुलिस महानिरीक्षक वी मधुकुमार भी पहुंचे।
दूसरे शाही स्नान में हिस्सा लेने आए राजस्थान के झुंझुनू जिले की कविता ने कहा कि वे अक्षय तृतीया के पर्व पर स्नान के लिए पांच दिन पहले ही उज्जैन आ गए थे। महाकाल के दर्शन से जीवन पवित्र हो गया।
बिहार के रोहतास जिले से आए रवींद्र सिंह, दिलीप कुमार और धनंजय पांडे ने बताया कि वे अपने परिवार सहित 20 अन्य लोगों के साथ उज्जैन आए हैं। मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान के बाद काफी भीड़ के बावजूद बड़ी आसानी से महाकाल के दर्शन हुए।

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