भोपाल। किसानों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए कांग्रेस सरकार साहूकारी अधिनियम में बदलाव के मसौदे को नए सिरे से तैयार करेगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस व्यवस्था को खत्म करने पर विचार करने की घोषणा की है।
इसके मद्देनजर अब प्रस्तावित संशोधन पर नए सिरे से मंथन होगा और फिर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। तत्कालीन शिवराज सरकार ने अधिनियम में संशोधन के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिसे कुछ संशोधनों के साथ पारित करके भेजने के लिए कहा गया। इसमें सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में ब्याज पर धंधा करने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान रखा था।
जय किसान फसल ऋ ण मुक्ति योजना पर बसपा प्रमुख मायावती द्वारा उठाए सवालों के मद्देनजर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि वे उनकी (मायावती) भावनाओं की कद्र करते हैं। साहूकार जो कर्ज देते हैं, उस पर मनमाना ब्याज वसूला जाता है।
किसानों की आत्महत्या के वक्त कर्ज का दबाव बड़ी वजह बनकर सामने आता रहा है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने साहूकारी व्यवस्था पर नए सिरे से विचार करने और इसे खत्म करने की बात कही थी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री सचिवालय में इस पर मंथन का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
अनुसूचित क्षेत्रों में साहूकारी के काम पर मौजूदा अधिनियम में भी प्रतिबंध है पर यह काम धड़ल्ले से हो रहा है। अगस्त 2017 में तो आलीराजपुर के तत्कालीन कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा ने साहूकारों के लाइसेंस निरस्त करके कर्ज शून्य घोषित कर दिया था।
इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्व विभाग से साहूकारी अधिनियम में संशोधन का मसौदा बनवाकर केंद्र सरकार को भिजवाया था, लेकिन वहां से यह कुछ संशोधन के लिए वापस भेज दिया गया। तभी से राजस्व विभाग में यह लंबित है।
यह किए थे प्रस्तावित प्रावधान
– अनुसूचित (आदिवासी बहुल) क्षेत्रों में साहूकारी (ब्याज का धंधा) का काम पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
– प्रतिबंध के बावजूद यदि कोई ब्याज का काम करता पाया जाता है तो पहली बार में दो हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा।
– दूसरी बार में जुर्माने की राशि पांच हजार रुपए हो जाएगी और दो साल कैद की सजा भी सुनाई जा सकती है।
– साहूकारी के लिए पंजीयन का अधिकार पंचायतों को होगा।
– ब्याज दर क्या रहेगी, यह फैसला सरकार करेगी।
– कोई ग्राम पंचायत यदि ऐसा प्रस्ताव पारित करती है कि उनके क्षेत्र में साहूकारी का काम न हो, तो वहां प्रतिबंध रहेगा।
सैद्धांतिक तौर पर केंद्र सहमत पर भाषा में सुधार के लिए लौटाया
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार राज्य द्वारा प्रस्तावित संशोधन विधेयक के मसौदे से सैद्धांतिक तौर पर सहमत है पर भाषा से जुड़े सुधार की दरकार है। इसे लेकर ही संशोधन विधेयक का मसौदा बनाकर केंद्र की ओर से भेजा गया है। इसे विधानसभा से पारित कराकर भेजने के लिए कहा है। बताया जा रहा है कि कारोबार (वृत्ति) से जुड़ा मामला होने की वजह से राष्ट्रपति की अनुमति जरूरी है। अनुमति मिलने के बाद ही राज्य सरकार संशोधन विधेयक ला सकती है।