पूरे देश में मार्च की शुरुआत से ही गर्मी की तपिश महसूस की जाने लगी है। यही वजह है कि अभी से लोग दोपहर में घर या ऑफिस से बाहर निकलने से बच रहे हैं। ऐसा तब हो रहा है जब आमतौर पर इस वक्त मौसम कुछ ठीक रहता है, लेकिन इस बार जिस रूप में गर्मी आती दिखाई दे रही है वह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिन मुश्किल होने वाले हैं। इसका संकेत मौसम विभाग भी दे चुका है।
दरअसल, मौसम विभाग ने इस वर्ष फरवरी में ही इस बात का जिक्र किया था कि इस वर्ष पूरे देश में सामान्य तापमान एक से दो डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा। मार्च से ही तेज होती गर्मी अब इस अनुमान को सही बताती दिखाई दे रही है। इस बार ऐसा होने की वजह ये है कि वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की सामान्य तौर पर फ्रिक्वेंसी 8 से 10 तक होती है। यह लगभग पूरे देश में होते हैं। इन डिस्टर्बेंस की वजह से तापमान में गिरावट बनी रहती है। लेकिन इस बार यह इसकी अपेक्षा काफी कम महज 4 से 5 तक ही आए हैं। इसकी वजह से मौसम में होने वाली वो एक्टिविटी जो इसको बैलेंस किए रखती हैं वह कम हुई हैं। इसकी वजह से मौसम में तेजी से गर्मी बढ़ी है।
भारत समेत पूरी दुनिया में हो रहा क्लाइमेट चेंज भी इस परिवर्तन की एक बड़ी वजह बन रहा है। भारत की ही यदि बात करें तो लगातार बढ़ता प्रदूषण इसका तीसरा बड़ा कारण बनता जा रहा है। यह चाहे किसी भी रूप में हो। इन सभी कारणों की वजह से इतना जल्दी मौसम में गर्मी बढ़ रही है। इस वर्ष देश भर में तापमान को लेकर उन्होंने यह भी बताया कि इस बार नॉर्थ और नॉर्दन प्लेन इलाकों में यह करीब 1 से डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। मध्यप्रदेश से लेकर निचले राज्यों में यह बढ़ोतरी करीब .5 से लेकर एक डिग्री सेल्सियस तक हो सकती है। इसमें दक्षिण भारत के सभी राज्य और इनके तटीय इलाके भी शामिल हैं। इस बार तापमान में हो रही बढ़ोतरी पूरी तरह से असमान्य है।