गोटेगांव। जैन मुनि अजित सागर महाराज ने साई मामले पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की बात पर सहमति जताई है। गोटेगांव में पत्रकारों से चर्चा में मुनि अजित सागर ने कहा कि किसी मूर्ति की पूजा तभी होती है, जब उस मूर्ति में उनके व्यक्तित्व को अवतरित करते हैं। आज हम लोग साधु-संत हैं भगवान नहीं हैं हम लोग भगवत्व प्राप्ति की चेष्टा कर रहे हैं।

मुनि अजित सागर ने कहा कि आज संसार चमत्कारों की ओर भाग रहा है अपनी स्वार्थ सिद्धी एवं सांसारिक इच्छापूर्ति के लिए धन पैसों के लालच में अपनी आस्था व्यक्त कर रहा है और पूज रहा है।

आस्था और भगवत्व में अंतर बताते हुए, उन्होंने कहा कि हम अपने माता-पिता के लिए आस्था रखते हैं और सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें भगवान नहीं मान सकते हैं। आपने कहा कि इंसान को भगवान से मांगने से कुछ नहीं मिलता है, उनसे सिर्फ उनकी पूजा-पाठ करने से मिलता है।

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