लोकसभा ने मंगलवार (08 जनवरी) को दो तिहाई बहुमत के साथ 124वें संविधान संशोधन बिल पारित कर दिया है, जिसके आधार पर अगड़ी जाति के गरीब लोगों (आर्थिक पिछड़ों) को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। सपा, बसपा, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस बिल का समर्थन किया मगर दूसरी तरफ अब आवाज उठने लगी है कि साल 2011 में किए गए सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना (SECC) के आंकड़ों (ओबीसी के आंकड़ों) को सार्वजनिक कर ओबीसी आरक्षण का भी दायरा बढ़ाया जाय। दूसरी तरफ कई ओबीसी नेता इस बात की मांग कर चुके हैं कि ओबीसी में अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण में बंटवारा किया जाय। केंद्रीय मंत्री और दलित नेता रामविलास पासवान लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान और पहले भी कई मौकों पर निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी आरक्षण की मांग करते रहे हैं। उधर, सपा के धर्मेंद्र यादव ने आबादी के आधार पर आरक्षण की मांग की।

ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि मोदी सरकार आगामी दिनों में कुछ और फैसले लेकर सरप्राइज दे सकती है। सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला भी मोदी कैबिनेट ने अचानक लिया था। हालात ऐसे थे कि संबंधित मंत्री को भी एक दिन पहले पता चला और एक दिन के अंदर विधेयक संसद में पेश करना पड़ा। इससे पहले मोदी ने नोटबंदी का फैसला भी अचानक किया था और देश समेत पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया था। लिहाजा, उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी ओबीसी वर्ग को ध्यान में रखते हुए भी चुनावी तुष्टिकरण के लिहाज से कोई सरप्राइज दे सकते हैं।

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