भोपाल। राज्य सरकार पिछले कई वर्षों से बिगड़ी आर्थिक हालात और राजस्व आय में लगातार हो रही कमी का हवाला देकर, लंबित  परियोजनाओं और जरूरी विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं से कर्ज पर कर्ज लेती जा रही है। अब तक राज्य सरकार 202000 करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ से लद चुकी है।

आंकड़े बताते हैं कि शिवराज सरकार  पिछले 7 माह में कार्यकाल में 10500 करोड रुपए की उधारी ले चुकी है। अकेले अक्टूबर माह में ही एक-दो दिन के अंदर तीसरी बार कर्ज लेने जा रही है। एक जानकारी के अनुसार शिवराज सरकार 1000 करोड़ रुपए का कर्जा आगामी 20 वर्षों में अदायगी की शर्त पर ले रही है। इस पर ब्याज दर वही होगी जो नए वित्त वर्ष अप्रैल 2020 में मध्य प्रदेश सरकार के वित्त विभाग द्वारा तय की गई है। खबर यह भी है कि यह कर्ज रिजर्व बैंक आफ इंडिया के माध्यम से ई कुबेर सिस्टम के द्वारा लिया जाएगा और इसके लिए सरकार द्वारा विड  भी बुलाए जा चुके हैं। यहां यह बताना जरूरी होगा कि राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है जिसके चलते हर महीने औसतन 1.5 हजार करोड़ रुपए का ऋण वित्तीय संस्थाओं से निर्धारित ब्याज दर पर लेना पड़ रहा है।

आंकड़े बताते हैं कि इस कर्ज की अदायगी के लिए किसी भी सरकार के द्वारा कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं । हालात यह है कि लिए गए ऋण पर ब्याज की अदायगी में ही बड़ी धनराशि खर्च की जा रही है। वहीं सरकार अपने चालू खर्च में मितव्ययिता बरतने और गैर जरूरी खर्चों को रोकने के लिए पुरजोर प्रयास नहीं कर रही है ,  जो लगातार कर्ज में डूबते जा रहे प्रदेश वासियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

नाथ सरकार ने भी लिया था 24000 करोड का कर्ज़
यहां यह उल्लेखनीय है कि कर्ज लेने के मामले में कोई भी सरकार पीछे नहीं है। सरकार की तंग हाल आर्थिक स्थिति के बावजूद विकास कार्यों को गति देने के नाम पर लगातार वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लिए जा रहे हैं वही फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के लिए माकूल व्यवस्था करने, गैर जरूरी खर्चों पर कटौती की ओर आवश्यक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं । इसी का नतीजा है कि जब शिवराज की पिछली सरकार ने कमलनाथ सरकार के हाथों सत्ता सौंपी तब सरकार पर 165 हजार करोड रुपए का विभिन्न संस्थाओं का कर्ज था। इसके बाद 15 महीने की कमलनाथ सरकार ने भी कर्ज लेने के मामले में कोई कोताही नहीं बरती और इस अवधि में 24000 करोड रुपए के कर्ज दिए गए।

सरकार के वित्तीय आंकड़े बताते हैं कि 7 माह पूर्व शिवराज की फिर से सरकार बनी तब सरकार पर 191 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ा हुआ था। इसके बाद सरकार  मात्र अप्रैल से अक्टूबर 2020 तक 10500 करोड रुपए का कर्ज ले चुकी है। तर्क दिया जा रहा है कि इस अवधि में कोरोना के संक्रमण काल के कारण सरकार के राजस्व प्राप्ति में बड़ी कमी आई है। ऐसी दशा में जरूरी परियोजनाओं और विकास कार्यों के साथ ही स्थापना और अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन भत्ते के लिए जरूरी धनराशि की पूर्ति कर्ज लेकर की जा रही है।

सात माह मे 12 बार लिया कर्ज

  • 21 अक्टूबर को 1000 करोड़ रुपए
  • 14 अक्टूबर को 1000 करोड़ रुपए
  • 7 अक्टूबर को 1000 करोड़ रुपए
  • 16 सितंबर को 1000 करोड़ रुपए
  • 9 सितंबर को 1000 करोड़ रुपए
  • 12 अगस्त को 1000 करोड़ रुपए
  • 4 अगस्त को 1000 करोड़ रुपए
  • 14 जुलाई को 1000 करोड़ रुपए
  • 7 जुलाई को 1000 करोड रुपए
  • 9 जून को 500 करोड़ रुपए
  • 2 जून को 500 करोड़ रुपए
  • 7 अप्रैल को 500 करोड़ रुपए

सरकार पर 2 लाख 2 हजार करोड रुपए का कर्ज

  • बॉन्ड्स के जरिये 7360 करोड़
  •  केंद्र सरकार से 20938 करोड़
  •  वित्तीय संस्थानों से 10766 करोड़
  • अन्य संस्थानों से 20909 करोड़
  • नेशनल सेविंग से 26481 करोड़ रुपए

का कर्ज अब तक लिया जा चुका है। अब तक कुल 2 लाख 1989 करोड रुपए का कर्ज मध्य प्रदेश सरकार पर हो गया है।

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