नई दिल्ली | विपक्ष ने बुधवार को केंद्र सरकार से देश में सूखा घोषित कर कम बारिश से मंडरा रहे संकट को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। राज्यसभा में चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) नेता रामगोपाल यादव ने देश के उत्तरी हिस्से की स्थिति को बुरा बताया।

यादव ने कहा, “उत्तर भारत में विशेषकर धान की खेती वाले इलाके में हालात खराब हैं। यह न सिर्फ मौजूदा फसल बल्कि अगले फसलों को प्रभावित करेगा।” जनता दल (युनाइटेड) के के.सी.त्यागी ने कहा कि बुवाई औसत से कम हुई है। “सूखा घोषित क्यों नहीं किया जा रहा?”बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता ब्रजेश पाठक ने किसानों के लिए आर्थिक पैकेज घोषित करने की मांग की। कांग्रेस सदस्य और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सरकार से संभावित सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए आपात योजना बनाने की अपील की। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के महत्व को इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बताया।रमेश ने कहा, “सभी सूखा प्रभावित इलाकों में 100 नहीं बल्कि 150 दिन के रोजगार की गारंटी दी जानी चाहिए। सरकार अतिरिक्त 50 दिनों के रोजगार का खर्च वहन करे।” उन्होंने केंद्र सरकार से जलवायु परिवर्तन और कृषि का अध्ययन कराने की मांग की। रमेश ने कहा, “भारत में मानसून बदल रहा है। आज मानसून 10-20 साल पहले की तरह नहीं है। बारिश बदली नहीं है, लेकिन इसका पैटर्न और वितरण बदला है।” उन्होंने कहा, “हमें जलवायु परिवर्तन की सच्चाई को समझने और इससे लड़ने में नई तकनीक को अपनाने की जरूरत है।” भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, मध्य भारत में बारिश में औसतन 63 फीसदी की कमी आई है। गुजरात में 91 फीसदी, मराठवाड़ा में 80 फीसदी, सौराष्ट्र और कच्छ में 78 फीसदी और पश्चिम मध्य प्रदेश में 76 फीसदी कम बारिश हुई है।

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