नई दिल्ली। देश के एक बड़े इलाक़े में धीरे धीरे सर्दियां दस्तक देने वाली हैं। इसके साथ ही कोरोना के मामले बढ़ने की आशंका भी जताई जाने लगी हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा है कि सर्दी के मौसम में कोरोना जैसे वायरस ज़्यादा तेज़ी से बढ़ सकते हैं। वीके पॉल के मुताबिक़ कोरोना वायरस एक Respiratory Virus है तो सांसों की नली और फेफड़े पर असर करता है। उनके मुताबिक ऐसे वायरस के लिए सर्दी का मौसम माकूल माना जाता है और इनका प्रकोप बढ़ जाता है।
मंगलवार को कोरोना के मामले पर होने वाली सरकार की साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस में डॉ पॉल ने बताया कि 1918 में जब स्पेन में वायरस का प्रकोप आया था तो सर्दियों में इसका असर ज़्यादा देखने को मिला था। उन्होंने कहा कि जिन देशों में ठंड बढ़ रही है उनमें से कुछ देशों में कोरोना के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। इसके साथ ही डॉ वीके पॉल ने कुछ दिनों में शुरू होने वाले त्यौहारी सीजन को भी कोरोना संक्रमण के नज़रिए से जोखिम वाला बताया है। उन्होंने कहा कि त्योहारों में लोग एक दूसरे से मिलते हैं जो कोरोना संक्रमण के लिहाज से चिंताजनक होगा।
उन्होंने लोगों से अपील की कि त्यौहारों और उससे जुड़े मेलों में ज्यादा इकट्ठा ना हों। ऐसा करने से बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। डॉ पॉल ने यहां तक कहा कि अगर सतर्कता नहीं बरती गई तो त्यौहारों का सीजन कोरोना का सुपर स्प्रेडर साबित हो सकता है। सरकार की ओर से लोगों से अपील की गई है कि आने वाले दिनों मे ऐहतियात बरतना ना छोड़ें। प्रधानमंत्री की ओर से की गई अपील की याद दिलाते हुए कहा कि मास्क पहनने, हाथों को लगातार साफ करने और 6 फीट की दूरी बनाए रखने जैसी सावधानियां बरतनी जरूरी है।
डॉ वी के पाल ने कोरोना वैक्सीन को लेकर चल रहे परीक्षणों के बारे में बताया कि भारत में दो वैक्सीन, पहला आईसीएमआर बायोटेक और दूसरा कैडिला ज़ायडस का परीक्षण सही रास्ते पर चल रहा है। दोनों वैक्सिनों के दूसरे चरण का परीक्षण ख़त्म होने को है। एक अन्य वैक्सीन, ऑक्सफोर्ड- सीरम, के दो चरण का ट्रायल पूरा हो चुका है और तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हुआ है। ये अंतराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे ट्रायल का हिस्सा है। इन सभी परीक्षणों के शुरुआती रुझान नवम्बर या दिसम्बर तक आने की संभावना है।