उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में वैक्सीनेशन में तैनात शिक्षिका नजमा खान का ब्रेन हेमरेज से बुधवार को निधन हो गया। छत्रीचौक डिस्पेंसरी में वैक्सीनेशन टीम में वह तैनात थी। पिछले गुरुवार को वहीं उनकी तबीयत बिगड़ी थी। कोरोना संक्रमण होने के संदेह में उनका टेस्ट भी कराया था। दो दिन बाद उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया। इस पर उन्हें माधवनगर अस्पताल में दाखिल किया गया।
यह अस्पताल कोरोना संक्रमण के मरीजों के इलाज के लिए है। परिजन के अनुसार उनके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी। माधवनगर अस्पताल में कोरोना का इलाज होता है, इसलिए वहां उनका ब्रेन हेमरेज का इलाज नहीं हो पा रहा था। पांच दिन तक परिजन उन्हें अन्य अस्पताल में ले जाने के लिए मशक्कत करते रहे। नजमा की तबीयत को लेकर परिजनों को कोई जानकारी भी नहीं मिल पा रही थी।
मीडिया ने जब नजमा के इलाज का मुद्दा उठाया तब मंगलवार को नजमा को जिला अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। यहां भी नजमा के इलाज के लिए न्यूरो सर्जन उपलब्ध नहीं होने से नजमा को उचित इलाज नहीं मिला। रात को कांग्रेस नेत्री नूरी खान ने नजमा को फ्रीगंज के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया। जहां बुधवार सुबह उनकी मृत्यु हो गई। नजमा की दो जुड़वां बेटियां हैं। कोरोना संक्रमण में ड्यूटी दे रहे शिक्षकों को राज्य सरकार ने कोरोना वारियर्स घोषित किया है।
शासकीय कन्या उमावि नलिया बाखल में पदस्थ शिक्षिका नजमा खान का बुधवार को ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो गया। प्रांतीय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने बताया शिक्षिका वैक्सीनेशन सेंटर पर कार्य करते हुए गंभीर रूप से बीमार हो गई थी। उन्हें समय पर और पर्याप्त उपचार नहीं मिल पाया। ऐसे में उन्हें कोरोना वॉरियर मानते हुए परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए।
वैक्सीनेशन सेंटर पर कार्यरत महिला कर्मचारी नजमा की ब्रेन हेमरेज से हुई मौत पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने कर्मचारी की मौत के लिए शासन-प्रशासन की लचर कार्य प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया है। प्रवक्ता विवेक सोनी ने बताया कि नजमा बी की छत्री चौक स्थित चिकित्सालय में वैक्सीनेशन सेंटर पर ड्यूटी थी। कार्य के दौरान उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ। प्रशासन ने नज़मा को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां कोई न्यूरोसर्जन नहीं था। कांग्रेस अध्यक्ष महेश सोनी और प्रदेश प्रवक्ता नूरी खान के हस्तक्षेप के बाद निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। नूरी खान ड्राइवर नहीं मिलने पर एंबुलेंस चलाकर ले गई। पीड़िता को भर्ती कराया।
बावजूद नजमा की जान न बच सकी। उपचार के दौरान पीड़िता की मौत हो गई। इस दौरान प्रशासन का कोई भी अधिकारी सुध लेने तक नहीं आया। महामारी में जान जोखिम में डालकर रात-दिन काम करने वाले कर्मचारी के प्रति शासन एवं प्रशासन कितना गैर जिम्मेदार है। कांग्रेस मुख्यमंत्री से मांग करती है कि नजमा खान को भी कोरोना योद्धा का दर्जा देते हुए इन्हें 50 लाख एवं उनके परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा नौकरी दी जाए। नजमा की मौत इलाज में देरी की वजह से हुई है, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।