नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट से आखिरकार जामिया की सफूरा जरगर को जमानत मिल गई है। दिल्ली हिंसा से जुड़े केस में उनकी गिरफ्तारी हुई थी, अब उन्हें मानवीय आधार पर जमानत मिली है, जिसका केंद्र सरकार ने भी समर्थन किया। सफूरा 23 हफ्ते की गर्भवती हैं और उनकी बेल को लेकर सोशल मीडिया पर लंबे वक्त से मांग उठ रही थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने सफूरा से किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होने को कहा है जिससे जांच पर असर हो। उन्हें दिल्ली नहीं छोड़कर जाने को भी कहा गया है। सफूरा को अपने जांच अधिकारी के भी संपर्क में रहना है। उन्हें 10 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर छोड़ा गया है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत सफूरा जरगर को गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ स्पष्ट एवं ठोस मामला है और इस तरह वह गंभीर अपराधों में जमानत की हकदार नहीं है, जिसकी उसने सुनियोजित योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। दिल्ली की स्पेशल टीम के अपनी रिपोर्ट में बताया कि गवाह और सह आरोपी ने स्पष्ट रूप से जरगर को बड़े पैमाने पर बाधा डालने और दंगे के गंभीर अपराध में सबसे बड़े षड्यंत्रकारी के तौर पर बताया है। वह न केवल राष्ट्रीय राजधानी बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी दंगे की षड्यंत्रकारी है। इसके आधार पर जमानत नहीं देने को कहा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि षड्यंत्र के पीछे यह विचार था कि ‘किसी भी हद तक जाएं’ भले ही यह पुलिस के साथ छोटा संघर्ष हो या दो समुदायों के बीच दंगा भड़काना हो या ‘‘देश की वर्तमान सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देकर अलगाववादी आंदोलन को चलाने’’ की वकालत करना हो।
वहीं जरगर की ओर से पेश हुईं वकील नित्या रामकृष्णन ने सोमवार को हुई सुनवाई में कहा था महिला नाजुक हालत में हैं और चार महीने से ज्यादा की गर्भवती हैं और अगर पुलिस को याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए तो छात्रा को कुछ वक्त के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। इसपर हाई कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता से मंगलवार को निर्देश लेकर आने को कहा था।