भोपाल। राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने कहा है कि अधिकारी आमजन के साथ संवेदनशीलता, धैर्य के साथ व्यवहार करें। अधीनस्थ का खुलकर बात करने के लिए भरोसा जीतें। वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय रखते हुए उनके निर्देशों के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ व्यवहारिक समस्याओं से भी अवगत कराते रहें। कार्यशैली का लक्ष्य सामने वाले का भरोसा और दिल जीतने का हो। राज्यपाल आज राजभवन में सौजन्य भेंट के लिए आये मध्यप्रदेश संवर्ग के प्रशिक्षु आई.ए.एस. अधिकारियों को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर प्रमुख सचिव राजभवन डी.पी. आहूजा भी उपस्थित थे।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि हर्ष का विषय है कि सभी अधिकारी उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त है। उनकी विशेषज्ञता का लाभ समाज को देने का अवसर मानकर कार्य करें। विशेषज्ञ ज्ञान का अधिक से अधिक उपयोग करे। जनोन्मुखी प्रशासनिक व्यवस्थाओं का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि पदस्थापना क्षेत्रों में व्यापक भ्रमण करें। दूरस्थ और पिछड़े अंचलो में भ्रमण को प्राथमिकता दें। भ्रमण का उद्देश्य योजनाओं की मैदानी हकीकतों का फीड बैक प्राप्त करने का होना चाहिए। आंगनबाड़ी, स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्रों में जाकर, वहाँ की व्यवस्थाओं को समझे, उन्हें बेहतर बनाने के प्रयास करें। वहाँ की समस्याओं से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते रहें। गांव की महिलाओं, बच्चों से खुल कर अपनेपन के साथ बात करेंगे, तो क्षेत्र की वास्तविक सूचनाएं मिलेगी। आमजन, प्रशासन की सबसे निचली कड़ी के साथ जीवंत सम्पर्क कायम रखें। उनकी दिक्कतों को समझ कर, उनके ईमानदार समाधान के प्रयास करें। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण और जमीनी अनुभवों में अंतर होता है। व्यवहार में ऐसी समस्याएं और चुनौतियाँ सामने आती है, जिनका समाधान दिशा निर्देशों में नहीं मिलता है। ऐसे समय में धैर्य, संवेदनशीलता के साथ अधीनस्थ कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तालमेल कर, सफलता प्राप्त की जा सकती है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि आमजन के प्रति संवेदनशीलता, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार आवश्यक है। उनको अपनी बात करने का पूरा अवसर मिलें। उन्हें अधिकारी से मिलने के लिए बार-बार चक्कर नहीं काटने पड़े। इस की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रशासनिक सेवा किसी की मदद से मिलने वाली खुशी के अनुभवों और विकास के नये आयाम कायम करने का अवसर है। समय सीमा तय कर फाइलों का निराकरण करें। सूचना तंत्र को मजबूत रखें। छोटी से छोटी जानकारी को पूरा महत्व दें। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों द्वारा वनकर्मियों के लिए वन क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के अनुभव का स्मरण करते हुए बताया कि नवाचारों के लिए सदैव प्रयासरत रहें। आपके ज्ञान, अनुभव का अधिक से अधिक लाभ दूसरों को मिलें। इसे कार्य का लक्ष्य बनाएं। तटस्थता का पूरी कड़ाई से पालन करें। अपने निकटवर्तीयों को गलती पर प्रश्रय नहीं दे। इससे आपकी तटस्थता और निष्पक्षता स्थापित होगी। राज्यपाल ने अधिकारियों को उनकी तीन पुस्तकों का सैट भेट किया। उनको बताया कि उनके मंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यकाल में अपने स्तर पर समाज की सेवा के उदाहरण प्रस्तुत करने वाले व्यक्तियों, जिनके कार्यों ने उनको प्रेरणा दी है। उनकी स्मृतियों का विवरण पुस्तक ‘वो मुझे हमेशा याद रहेंगे’ में है। राजभवन की गतिशीलता का विवरण प्रगतिशील राजभवन पुस्तक में दिया गया है। प्रतिबिम्ब पुस्तक में उत्तरप्रदेश के राज्यपाल के कार्यों 45 जिलों के भ्रमणों का अध्ययन है। उन्होंने अधिकारियों को निरंतर अनुभवों के लेखन के लिए प्रेरित किया।
राज्यपाल को महानिदेशक आर.सी.वी.पी. प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी मध्यप्रदेश विनोद कुमार ने अकादमी के इतिहास और उपलब्धियों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रशासन अकादमी की स्थापना 46 एकड़ के परिसर में वर्ष 1966 में हुई थी। यहाँ पर प्रशिक्षणार्थियों के व्यक्तिव विकास के लिए तकनीकी, शैक्षणिक, खेलकूद एवं रचनात्मक गतिविधियों की सभी आधुनिक सुविधाएं है। समृद्ध पुस्तकालय है, जिसमें 20 समाचार पत्र 65 पत्रिकाएं नियमित आती। करीब 38 हजार संदर्भ ग्रंथ है। उन्होंने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग से सम्बद्ध शीर्षस्थ तीन अकादमियों में प्रदेश की अकादमी भी शामिल है। जिसे आई.एस.ओ. 2001 प्राप्त है। उन्होंने बताया कि अकादमी को बेहतर बनाने के निरंतर प्रयास हो रहे हैं। ऑन लाइन प्रशिक्षण की पहल आई.ए.एस. अधिकारियों के प्रशिक्षण से शुरु की गई है। इसे अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी लागू किया जायेगा। इस अवसर पर उन्होंने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।
राज्यपाल को संचालक प्रशासन अकादमी श्रीमती सोनाली वायंगणकर ने बताया कि आर.सी.वी.पी. प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी में वर्ष 2019 के भारतीय प्रशासनिक सेवा के 10 अधिकारी 12 अक्टूबर से प्रशिक्षणाधीन है। उन्होंने बताया प्रशिक्षु अधिकारियों को मध्यप्रदेश राज्य की सामाजिक, आर्थिक, भौगौलिक स्थिति, विभिन्न योजनाओं और कार्य पद्धतियों से अवगत कराया जा रहा है। उन्हें राज्य की भू-राजस्व संहिता एवं विभिन्न अधिनियमों के संबंध में भी जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि सभी अधिकारी शैक्षिणिक स्तर पर इंजीनियर है।
राज्यपाल के समक्ष प्रशिक्षु अधिकारी सुसृष्टि देशमुख ने प्रतिभागियों की ओर से प्रशिक्षण के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि एल.बी. शास्त्री प्रशासन अकादमी मसूरी में 8 माह के प्रशिक्षण उपरांत मई माह में कोविड-19 संक्रमण के दौरान राज्य में पदस्थ हुए। इस दौरान कोविड-19 के नियंत्रण के प्रयासों, टेस्टिंग, आपात स्थितियों का सामना करने, कमांड एन्ड कंट्रोल एवं आपदा प्रबंधन के व्यवहारिक अनुभव प्राप्त किए। इसके साथ विभिन्न कार्यालयों की कार्यप्रणाली तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी, जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी के स्वंतत्र प्रभार के कार्य अनुभव प्राप्त किए है। अकादमी के संकाय सदस्य प्रमोद चतुर्वेदी ने आभार ज्ञापन किया। बताया कि प्रदेश प्रशासन अकादमी का अन्य राज्यों के अधिकारी प्रशिक्षण संस्थाओं के साथ समन्वय है। प्रदेश की राज्य सेवा के अधिकारी विगत दिनों अध्ययन भ्रमण पर गुजरात गए थे। शीघ्र ही गुजरात राज्य सेवा के अधिकारी राज्य में प्रशिक्षण के लिए आएगें।