मुंबई !   हथियार रखने के मामले में सजा पाए फिल्म अभिनेता संजय दत्त को आज अदालत से कोई राहत नहींमिल सकी। संजय दत्त कुछ और समय बाहर रहना चाहते थे, जिससे उनकी अधूरी पड़ी फिल्म पूरी हो सकें। अब उन्होंने अपनी जान को कट्टरपंथियों से खतरा बताते हुए सीधे यरवदा जेल में समर्पण की इजाजत मांगी है। टाडा की विशेष अदालत ने इसके लिए सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के कहा है।
टाडा अदालत के न्यायाधीश जी ए सनप ने सीबीआई को जवाब दाखिल करने का आदेश देने के बाद याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी। अर्जी के मुताबिक, ‘प्रार्थी को कट्टरवादी समूहों और निहित स्वार्थी तत्वों की ओर से मौत की धमकियों का सामना कर पड़ रहा है।’ उन्होंने मीडिया द्वारा पीछा न किए जाने की भी इच्छा जताई। पिछली बार मीडिया ने उनकी गाड़ी का 120 किलोमीटर तक पीछा किया था। संजय दत्त ने उच्चतम न्यायालय से आत्मसमर्पण के लिए और समय तक छूट दिए जाने से इनकार करने के बाद सीधे यरवदा जेल के अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण की इजाजत टाडा अदालत से मांगी  है।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय में कुछ फिल्म निर्माताओं ने याचिका दायर की थी, जिसमें संजय दत्त के आत्मसमर्पण के लिए और कुछ समय की मांग की थी जिससे उनकी फिल्म पूरी हो सके। जिस पर अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया।
उल्लेखनीय है, कि संजय दत्त को शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया है उन्हें 42 माह की शेष सजा काटने के लिए 16 मई के पहले आत्मसमर्पण करना है। इसके पूर्व 53 वर्षीय संजय दत्त को उच्चतम न्यायालय ने आत्मसमर्पण के लिए चार सप्ताह का समय बढ़ाया था। कुख्यात अपराधी डान दाऊद इब्राहिम और अन्य ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई एस आई के साथ मिलकर वर्ष 1993 में मुंबई में ट्रेन में हुए बम विस्फोट का षड़यंत्र रचा था। उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च को संजय दत्त को टाडा अदालत द्वारा 9 एमएम पिस्तौल और एके-56 रायफल रखने के  दोषी ठहराए जाने के आदेश को बरकरार रखा, हालांकि उन्हें टाडा अदालत द्वारा वर्ष 2006 में दी गई छह वर्ष की सजा को कम करते हुए पांच वर्ष कर दिया। संजय दत्त के  पास जो अस्त्र आया था उसी के साथ बड़े पैमाने पर विस्फोटक सामग्री भी देश में लाई गई थी। वर्ष 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबध्द बम विस्फोट में 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गये थे।

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