इंदौर। पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी ने आज इंदौर से लगभग 22 किलोमीटर दूर उज्जैनी ग्राम में क्षिप्रा नदी के उद्गम-स्थल क्षिप्रा टेकरी में नर्मदा और क्षिप्रा नदी के मिलन की 432 करोड़ रुपये की नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक परियोजना के लिए भूमि-पूजन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने क्षिप्रा के उद्गम-स्थल क्षिप्रा टेकरी पर माँ नर्मदा और क्षिप्रा का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की। श्री चौहान ने कहा कि इस स्थल को तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा और इसे संगम-स्थल के रूप में जाना जाएगा।
श्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि नदियों को जोड़ने की यह अद्भुत योजना है। योजना से मात्र दो नदियाँ ही नहीं बल्कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अनेक महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों का मिलन भी होगा। उन्होंने बताया कि नदियों को जोड़ने तथा इनका जाल पूरे देशभर में बुनने का सपना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने देखा था। श्री वाजपेयी के स्वप्न को साकार होता देख उन्हें बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि नदियों के आपस में जुड़ने से अति वृष्टि के समय बाढ़ का खतरा कम होगा तथा अल्प वर्षा में देश को सूखे की समस्या से मुक्ति मिल सकेगी।
श्री आडवाणी ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नदियों को जोड़ने की इस योजना की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि परियोजना के प्रथम चरण का कार्य एक वर्ष में पूर्ण करने का लक्ष्य महत्वपूर्ण है। श्री आडवाणी ने कहा कि आज का दिन मेरे लिये अति महत्वपूर्ण और अविस्मरणीय है क्योंकि मुझे मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी के उद्गम-स्थल के दर्शन का सुअवसर मिला है। उन्होंने कहा कि आज मालवा अंचल के निवासियों के लिये भी ऐतिहासिक दिन है क्योंकि योजना के पूर्ण होने पर उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन होना स्वाभाविक है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि इस योजना के माध्यम से पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्वप्न को साकार करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि परियोजना के प्रथम चरण को एक वर्ष के रिकार्ड समय में पूरा किया जाएगा। यह योजना मध्यप्रदेश, विशेषकर मालवा क्षेत्र में नयी खुशहाली लाएगी, मालवा को नया जीवन मिलेगा तथा यहाँ के निवासियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आएगा। श्री चौहान ने क्षिप्रा के उद्गम-स्थल क्षिप्रा टेकरी पर माँ नर्मदा और क्षिप्रा मैय्या का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की। श्री चौहान ने कहा कि इस स्थल को तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा और इसे संगम-स्थल के रूप में जाना जाएगा।
प्रारंभ में श्री लालकृष्ण आडवाणी तथा मुख्यमंत्री श्री चौहान ने एक साथ नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक परियोजना का भूमि-पूजन वैदिक मंत्रोच्चार के बीच किया।
समारोह में नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री श्री कन्हैया लाल अग्रवाल, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया, सांसद श्री प्रभात झा, सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन, पूर्व सांसद श्री थावरचंद गेहलोत, मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष श्री गोविंद मालू, इंदौर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश परसावदिया, क्षेत्रीय विधायक श्री जीतू जिराती सहित अन्य जन-प्रतिनिधि, मीडियाकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी एवं ग्रामीण उपस्थित थे।
नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक परियोजना
ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना के तहत निर्मित बांध के बाँयें तट पर ओंकारेश्वर नहर निकलती है, जिसमें 85 क्यूमेक जल उपलब्ध है। दायीं तट नहर के जंक्शन स्थल से परियोजना के चरण 2 एवं 3 के लिये कुल 50 क्यूमेक जल की आवश्यकता है। शेष 35 क्यूमेक में से 15 क्यूमेक जल ओंकारेश्वर उद्वहन नहर के चरण 4 के लिये सिलसिया तालाब में डाला जाना प्रस्तावित है, जिसका निर्माण कार्य प्रगति पर है। नहर के लिये जल के उपयोग उपरांत 20 क्यूमेक जल शेष रहेगा। इस 20 क्यूमेक में से 5 क्यूमेक जल को उद्वहन कर सिलसिया तालाब से जिला इंदौर के उज्जैनी ग्राम के समीप जिजलावंती नाले में डाला जाना प्रस्तावित है। यह नाला तकरीबन 15 कि.मी. उपरांत क्षिप्रा नदी में मिलता है। इस प्रकार यहाँ से नर्मदा का जल क्षिप्रा में प्रवाहित होकर उज्जैन तक पहुँचेगा। आरम्भिक अनुमानों के अनुसार लगभग 49 कि.मी. की दूरी एवं 348 मीटर ऊँचाई तक जल का उद्वहन किया जायेगा। इसके लिये चार स्थलं पर जल उद्वहन के विद्युत पम्पों की स्थापना की जायेगी। सम्पूर्ण योजना की प्रशासकीय स्वीकृति 432 करोड़ रूपये की है। परियोजना के तहत सिसलिया तालाब से जल उद्वहन कर इन्दौर जिले के उज्जैनी ग्राम के निकट क्षिप्रा उद्गम तक ले जाने के पूर्व एक आकर्षक कुण्ड में छोड़ा जायेगा। प्रस्तावित 10 गुणित 15 मीटर चौड़ाई और लगभग ढाई मीटर गहरे इस कुण्ड से दस किलोमीटर लंबी पक्की नहर से होकर नर्मदा जल क्षिप्रा उद्गम तक पहुँचेगा। कुण्ड और क्षिप्रा उद्गम तक की नहर के भाग को आकर्षक स्वरूप दिया जायेगा।
प्रथम चरण में ओंकारेश्वर परियोजना सिसलिया तालाब से नर्मदा जल का क्षिप्रा में प्रवाह होगा तथा आगामी चरणों में महेश्वर से नर्मदा जल उद्वहन कर गम्भीर नदी मेंए इंदिरा सागर जलाशय से नर्मदा जल उद्वहन कर कालीसिंध और पार्वती नदियों में प्रवाह किया जायेगा। इन परियोजनाओं के पूर्ण हो जाने पर मालवा क्षेत्र में 17 लाख एकड़ में सिंचाई सुलभ होगी। वर्षों से पीने के पानी की समस्या से जूझते मालवा क्षेत्र की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान होगा। मालवा की नदियों में प्रवाहित होता नर्मदा का जल 70 कस्बों और 3000 गाँवों की प्यास बुझायेगा। नर्मदा जल की उपलब्धता से मालवांचल में औद्योगिक विकास की गति तेज होगी। वर्तमान और भावी सैकड़ों उद्योगों को जल उपलब्ध हो सकेगा। परियोजना का एक उल्लेखनीय लाभ यह होगा कि प्रत्येक 12 वर्ष में उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध सिंहस्थ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान और अन्य जल आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकेगी।
साथ ही उज्जैन नगर की वर्तमान और भावी जल आवश्यकता की पूर्ति करेगा। इस जल से देवास नगर की वर्तमान और भावी पेयजल आवश्यकता की पूर्ति होगी।
नर्मदा का जल क्षिप्रा में प्रवाहमान होने से क्षेत्र का भू-जल स्तर नीचे जाने से रूकेगा और रिचार्ज होकर भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी होगी। इससे क्षेत्र के कुआंे, ट्यूबवेल्स और सूखे तालाब रिचार्ज होंगे। कुओं का जल-स्तर ऊपर आ जाने से पानी निकालने में बिजली की खपत कम होगी।