ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिण्ड में सर्व धर्म समभाव और सामाजिक समरसता को कायम रखने के लिए एक अनूठी पहल की गई है। यहां भिण्ड शहर के गांधी मार्केट पर एक ही पंडाल में श्रीगणेशजी विराजे हैं और उसी में मोहर्रम के ताजिए रखे हुए हैं। राइन कमेटी और गणेश उत्सव समिति ने आपस में बैठकर समूचे आयोजन के लिए ऐसे निर्णय लिए हैं जिनसे गंगा- जमुनी तहजीब का संदेश दूर- दूर तक जाएगा। तय किया गया है कि जब श्रीगणेश जी की आरती होगी तब ताजियों पर मातमी धुन का वादन नहीं किया जाएगा और जब अलम- अखाडे का प्रदर्शन किया जाएगा तब भक्ति संगीत नहीं गूंजेगा।
हिंदू- मुस्लिम समुदाय के त्योहार एक साथ पडने पर न केवल शासन-प्रशासन चिंतित हो उठता है बल्कि समाज संगठनों के बीच भी अनहोनी की आशंकाएं पनपने लगती हैं। इस प्रकार की सभी शंका- कुशंकाओं को राइन समाज और गणेश उत्सव समिति ने मिल बैठकर ऐसा सुलझाया कि सब एक- दूसरे की व्यवस्थाओं में घुल मिल गए। पंडाल हो या लाइट डेकोरेशन का खर्च एक-दूसरे ने वहन कर लिया। मोहर्रम का जुलूस 21 सितंबर को निकलने के साथ मातमी त्योहार संपन्न हो जाएगा जबकि गणेश उत्सव 23 तक चलेगा। इसलिए टेंट, लाइट, डेकोरेशन की व्यवस्थाएं गणेश उत्सव संपन्न होने तक यथावत रहेंगी। इस अनूठी पहल को प्रो. इकबाल अली ने एक शेर के माध्यम से बयां किया- ढंक लिया उसने सिर अदब से सुनकर के अजान, एक पुजारिन ने मेरा ईमान ताजा कर दिया, आराध्य किसी जाति विशेष के न होकर सर्व समाज के होते हैं।
राइन समाज समिति में रहीस राइन, फिरोज राइन, छुटकू चौधरी, इकराम, यासीन, फैयाद राइन, अंसार, बबलू, कल्लू, रमजान जबकि गणेश उत्सव समिति में राजीव सोनी, अशोक, वीरेंद्र गुप्ता, सुरेंद्र सिंह कुशवाह, राजेंद्र सोनी, प्रेमप्रकाश, सुनील सोनी, मनोज शामिल हैं। इन लोगों के द्वारा एक-दूसरे की भावनाओं की न केवल कद्र की जा रही है बल्कि व्यवस्थाओं में सहयोग किया जा रहा है।

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