दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बुधवार को कार्यभार संभाल लिया. इस मौके पर 1984 सिख दंगों के आरोपी और पूर्व कांग्रेस सांसद जगदीश टाइटलर की मौजूदगी से दीक्षित की ताजपोशी पर विवाद खड़ा हो गया. शीला दीक्षित के पदभार ग्रहण करने के कार्यक्रम में टाइटलर पहली पंक्ति में बैठे दिखे, जिसे लेकर कांग्रेस की आलोचना होने लगी कि पार्टी ने एक बार फिर सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है.
दरअसल दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन के कार्यकाल के दौरान प्रदेश कांग्रेस ने सिख दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार से किनारा कर लिया था. यहां तक कि कांग्रेस के कार्यक्रम में भी इन दोनों नेताओं की मौजूदगी पार्टी को गंवारा न थी. 9 अप्रैल 2018 को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के एक कार्यक्रम में तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आने से पहले दोनों नेताओं को चले जाने का इशारा कर दिया गया था. हाल ही में जब सिख दंगा मामले में सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई तब भी पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया.
अब दिल्ली कांग्रेस में निजाम बदला है तो कांग्रेस में उपेक्षित नेता भी पार्टी दफ्तर में नजर आने लगे. केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ‘राहुल जी भी वही कर रहे हैं जो उनके परिवार ने किया था. उन्होंने दिखा दिया है कि सिखों की भावना के लिए उनके मन में कोई आदर नहीं है.’ सज्जन कुमार को दोषी करार दिए जाने के बाद हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि जल्द ही जगदीश टाइटलर को भी सजा मिलेगी.
सज्जन कुमार पर पूछे गए सवाल के जवाब में जगदीश टाइटलर ने कहा कि जब अदालत ने फैसला दिया है, तो कोई क्या कह सकता है. आपने मेरा नाम भी लिया, क्यों ? क्या कोई FIR है? क्या कोई केस है? नहीं? तब आप मेरा नाम क्यों लेते हैं? किसी ने कहा, और आपने मान लिया.”
बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान मनमोहन सिंह सरकार में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन सज्जन कुमार को सजा मिलने के बाद सिख दंगों का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया और 84 दंगा मामले में तमाम आरोपियों को सजा मिलने की आस एक बार फिर जगी. ऐसे में टाइटलर का सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल होना सिख दंगों की याद एक बार फिर ताजा कर गया. वहीं माना जा रहा है कि पुराने नेता को कमान मिलने से पार्टी में किनारे कर दिए गए नेताओं के अच्छे दिन एक बार फिर लौट सकते हैं.
दिल्ली कांग्रेस की कमान संभालने के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि पार्टी को खुद अहसास हुए कि एकजुट होना चाहिए, इसकी उम्मीद मुझे भी है और उन्हें भी. उन्होने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को डबल काम करना पड़ेगा. प्रदेश कांग्रेस की कमान मिलने पर आ रही राजनीतिक टिप्पणियों का जवाब देते हुए शीला दीक्षित ने कहा कि विरोधियों को टारगेट करने दीजिए इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला.
बता दें कि शीला दीक्षित ने पहली बार दिल्ली कांग्रेस की कमान 1998 में तब संभाली थी, जब हालात ऐसे बन गए थे कि पार्टी को कई चुनावों में लगातार हार का मुंह देखना पड़ा था. पार्टी 1991, 1996, 1998 के लोकसभा और 1993 विधानसभा और 1997 के निकाय चुनाव हार चुकी थी. ऐसे में शीला दीक्षित ने फर्श पर पड़ी पार्टी को अर्श तब पहुंचाया और लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं.