भोपाल ! मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह से इस्तीफा लेकर बेतुके बयान देने की बढ़ती परंपरा पर विराम लगाने की कोशिश की है। साथ ही अपने सख्त होने के संकेत भी दिए हैं।
राज्य सरकार के आधा दर्जन मंत्री ऐसे हैं जिनकी जुबान मौके-बेमौके पर फिसलती रहती है। उनके बयान से सरकार की फजीहत होती रहती है। इस फेहरिस्त में नगरीय प्रशासन मंत्री बाबू लाल गौर, उद्योगमंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुकोजीराव पवार, पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव, आदिमजाति कल्याण मंत्री विजय शाह सबसे आगे रहते हैं। इनमें से कई मंत्रियों ने तो महिलाओं के पहनावे पर सार्वजनिक तौर पर पहले भी राय जाहिर कर सरकार की खूब किरकिरी कराई है।
मंत्रियों के बेतुके बयानों पर विपक्षी दल कांग्रेस ने हर मौके पर मुख्यमंत्री चौहान पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया से लेकर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह तक ने मंत्रियों के बेकाबू होने के आरोप लगाए हैं। जब मंत्रियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो विपक्ष के आरोपों को और बल मिला। शाह के मसले पर भी विपक्ष का रुख हमलावर था।
बेतुके बयान देने वाले विजय शाह पहले ऐसे मंत्री हैं। पर मुख्यमंत्री चौहान ने उन्हीं पर सीधा डंडा चलाया है। महिलाओं को लेकर अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करने वाले शाह पर मुख्यमंत्री ने कार्रवाई कर यह संकेत देने की कोशिश की है कि अब यह नहीं चलने वाला है। सबको जुबान पर लगाम रखनी होगी।
शाह का बयान आने के बाद पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने भी साफ तौर पर कह दिया था कि उनके बयान से पार्टी सहमत नहीं है। इतना ही नहीं उन्हें तुरंत तलब भी किया था। सरकार के कई मंत्रियों जिनमें महिला बाल विकास मंत्री रंजना बघेल, चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा व चिकित्सा राज्यमंत्री महेंद्र हार्डिया ने भी शाह के बयान को उचित नहीं माना। इस मसले पर संगठन व सत्ता के बीच मंथन हुआ और शाह को आखिरकार पद छोड़ना पड़ा।
यह चुनावी वर्ष है और भाजपा व सरकार को आगामी चुनाव की भी चिंता है। चुनाव के वर्ष में नेता किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहते। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री का प्रमुख एजेंडा महिला सशक्तिकरण है और वे इस वर्ग को चुनाव में अपने पक्ष में रखना चाहते हैं। जनता में कतई यह संदेश न जाए कि महिलाओं पर टीका-टिप्पणी करने वाले मंत्री के साथ सरकार है, ऐसे में मुख्यमंत्री के पास मंत्री का इस्तीफा मांगने के अलावा कोई और विकल्प था ही नहीं। हां, इतना जरूर है कि इससे मुख्यमंत्री के सख्त होने का संदेश भी चला जाएगा।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है, “हमारा दल राजनीतिक शुचिता की बात करता है और उस पर अमल भी करता है। शाह के बयान पर पार्टी ने पहले ही दिन राय जाहिर कर अपनी असहमति जताई थी। शाह ने अपनी गलती स्वीकारी उसके बाद भी उन पर कार्रवाई की। यह कार्रवाई कोई मजबूरी में नहीं की गई है, बल्कि पार्टी के सिंद्धांतों के अनुरूप कदम उठाया गया है।”
कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शाह पर कार्रवाई किए जाने के बाद कहा है कि मुख्यमंत्री क्या उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस दिखा पाएंगे, जिन्होंने महिलाओं को लेकर अशोभनीय टिप्पणी की थी। अकेले शाह पर कार्रवाई किए जाने से मामला खत्म नहीं होने वाला। सरकार को शाह के खिलाफ नए कानून के तहत प्रकरण दर्ज कराना चाहिए ।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने कहा है कि विजय शाह ने भाजपा के चरित्र को सामने लाया है, लिहाजा शाह के खिलाफ महिला उत्पीड़न का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।