ग्वालियर। भिण्ड जिले में वर्ष 2006, 08, 09, एवं 011 में जनपद पंचायत के जरिए बडे पैमाने पर की गई संविदा शिक्षकों की भर्ती की जांच के लिए कलेक्टर द्वारा गठित किए गए जांच दलों ने जिले के सभी एसडीएम कार्यालय व जनपद पंचायत कार्यालयों में जाकर रिकार्ड खंगालना शुरु कर दिया है, जिससे ऐसे लोगों के हाथपैर फूल गए हैं जो फर्जी दस्तावेज लगाकर शिक्षक बन बैठे है।
भिण्ड जिले में संविदा शिक्षक वर्ग-3 की भर्ती में बडी गडबडी हुई है । तीन सौ अभ्यर्थियों ने फर्जी अंकसूची और बगैर डीएड डिप्लोमा के नौकरी हासिल कर ली। नौकरी से निकाले जाने के डर से इनमें से कई शिक्षकों ने बाद में सरकारी खर्च पर डीएड के लिए डाइट में एडमिशन भी ले लिया। उधर भिण्ड जिले के अटेर ब्लॉक में तो शिक्षकों ने भर्ती संबंधी रिकॉर्ड ही गायब करा दिया। शिक्षकों का रिकॉर्ड नहीं मिलने पर जनपद पंचायत के एक बाबू विनोद कुमार पाण्डेय के खिलाफ एफआईआर भी प्रशासन दर्ज करा चुका है।
लगभग 300 लोगों ने संविदा शिक्षक भर्ती के समय भारतीय साहित्य परिषद और माध्यमिक शिक्षा परिषद दिल्ली की अंकसूची के आधार पर नौकरी ले ली। जबकि संविदा भर्ती में यह अंकसूची मान्य नहीं है। शिक्षकों ने भर्ती के समय डीएड का फर्जी डिप्लोमा भी प्रस्तुत किया है।
संविदा शिक्षक फर्जीवाडे की जांच के लिए 7 फरवरी 2014 को तत्कालीन कलेक्टर एम. सिबि चक्रवर्ती ने तीन अलग-अलग जांच कमेटी बनाई थी, लेकिन आज तक संविदा शिक्षक फर्जीवाडे की जांच ठण्डे बस्ते में है। तत्कालीन अपर कलेक्टर पीके श्रीवास्तव ने डाइट से रिकॉर्ड भी जप्त किए थे पर जांच कब पूरी होगी किसी को नहीं पता। भिण्ड कलेक्टर मधुकर आग्नेय ने इस मामले में जांच कमेटी से जुडे अधिकारियों की बैठक कर कडी फटकार लगाई तथा 28 जुलाई तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।
भिण्ड के पूर्व कलेक्टर एम. सिबि चक्रवर्ती ने फर्जीवाडा कर नौकरी पाकर शिक्षक बने भिण्ड जनपद के 28 शिक्षकों को तत्काल बर्खास्त करने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए थे। 18 माह के बाद भी कलेक्टर के आदेश का पालन नहीं किया गया है।
जनपद पंचायज अटेर के बाबू विनोद कुमार पाण्डेय जो इन दिनों फरार चल रहे हैं, ने बताया कि उनके खिलाफ शिक्षक भर्ती का रिकॉर्ड गायब संबंधी जो आरोप लगाकर उनके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज कराई गई है वह गलत ह जिन शिक्षकों की भर्ती हुई है और जिन अधिकारियों ने भारी राशि लेकर की है उनसे उनकी जान को खतरा है। विनोद कुमार पाण्डेय ने पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन को दिए आवेदन में कहा है कि फर्जीवाडा कर नौकरी पाने व भर्ती तरीके से भर्ती कराने वालों के आतंक के कारण वह अपनी जान बचाता छिपता फिर रहा है। उसको जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग व जनपद के अधिकारियों पर कतई विश्वास नहीं है। वह पूरा रिकॉर्ड न्यायालय में प्रस्तुत करेगा।
भिण्ड जनपद में तो 86 पद के लिए 102 की भर्ती कर दी गई। वर्ष 2011 में भिण्ड जनपद में हुई संविदा शिक्षकों की भर्ती में स्वीकृति पदों से ज्यादा संख्या में नौकरी बांटने के बाद 102 की भर्ती के बाद मात्र 76 शिक्षकों के ही कागजात भर्ती संबंधी मिल रहे है। बाकी शिक्षकों के कागजात ही जनपद में उपलब्ध नहीं है। भिण्ड जनपद कार्यालय में शिक्षक भर्ती संबंधी कागजातों में आग ही लगा दी गई। रिकॉर्ड सुरक्षित रखने वाले तीन कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी।
कुल मिलाकर संविदा शिक्षकों की भर्ती में भारी गडबडी पकडने के बाद भी प्रशासन के अधिकारी किसी के खिलाफ कोई बडी कार्यवाही नहीं कर पा रहे है। अपर कलेक्टर आरपी भारती ने बताया कि संविदा शिक्षक भर्ती में बडे पैमाने पर गडबडी हुई है पूरे मामले की जांच के लिए सभी जनपदों से रिकॉर्ड तलब किया गया है। जहां रिकॉर्ड नहीं मिला वहां के संबंधित कर्मचारी व अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

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