भारतीय प्रशासनिक सेवा से अपने इस्तीफे की घोषणा के बाद 2010 बैच के आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने शुक्रवार को कहा कि वह फिलहाल मुख्य धारा की किसी पार्टी या अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस में शामिल नहीं होंगे. लेकिन, आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से उन्हें खुशी मिलेगी.

सिविल सेवा परीक्षा 2009 में टॉपर रहे फैसल ने कहा कि वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीति की शैली से काफी प्रेरित हुए हैं. लेकिन जम्मू कश्मीर के हालात उन्हें उनकी शैली में राजनीति करने की इजाजत नहीं देंगे. उन्होंने कहा, ‘फिलहाल, मुख्यधारा की किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने की मेरी कोई योजना नहीं है. क्षेत्र में जाने, युवाओं और अहम हितधारकों को जमीनी स्तर पर सुनने तथा फिर फैसला करने की मेरी योजना है.’

इस्तीफे को लेकर उन्होंने कहा, ‘इस्तीफा एक हथियार है, जिसका सिर्फ एक बार इस्तेमाल होना चाहिए. मुझे लगता है कि मैंने इसका सही वक्त पर उपयोग किया.’ फैसल ने कहा, ‘मैं इमरान खान और अरविंद केजरीवाल से काफी प्रेरित हुआ हूं.’ उन्होंने कहा कि लेकिन हम जानते हैं कि हम एक संघर्ष वाले क्षेत्र में काम कर रहे हैं और हमारा उस जगह पर काम करना बहुत आसान नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘अगर राज्य के नौजवान उस तरह का अवसर देते हैं तो मुझे इमरान खान और केजरीवाल की तर्ज पर काम कर खुशी होगी.’ उन्होंने कहा कि वह अगला कदम उठाने से पहले राजनीतिक दलों सहित सभी खास लोगों से राय ले रहे हैं. फैसल ने कहा, ‘कश्मीर में हमें एकजुट होने की जरूरत है. हम संकट की स्थिति में हैं. लोगों की कब्रों पर राजनीति करने का यह वक्त नहीं है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं, फैसल ने कहा, ‘आगामी चुनाव लड़ने से मुझे खुशी मिलेगी. मेरा मानना है कि संसद और विधानमंडल अहम स्थान हैं और हमें वहां सही लोगों की जरूरत है.’ अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि वह अपनी विशेषज्ञता का वहां कोई उपयोग नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं (शासन) प्रणाली का व्यक्ति हूं और मेरे पास अनुभव है तथा मेरी विशेषज्ञता शासन में है. मुझे संस्थाओं में कुछ करने से खुशी मिलेगी, जहां मैं प्रशासक के तौर पर मिले अनुभव का उपयोग कर सकूंगा.’ उन्होंने कहा कि हुर्रियत उन्हें इस तरह का अवसर नहीं देगा, क्योंकि हुर्रियत चुनावी राजनीति में यकीन नहीं रखता.

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