शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार के सात वर्षों के कार्य और कार्रवाईयों के सिंहावलोकन से जो बात साफ तौर पर नजर आती है वह विकास और बदलाव है। पिछले सात वर्ष में जहाँ राज्य की बीमारु छवि में बदलाव आया है वहीं विकास के नए कीर्तिमान भी स्थापित हुए हैं। राज्य की प्रशासनिक मशीनरी की दिशा और दर्शन में बदलाव के साथ ही विकास का प्रकाश अनछुए और अनदेखे क्षेत्रों में पहुँचा है। आम आदमी को खास बनाकर नर में नारायण को देखने की अवधारणा के साथ शिवराज सरकार के सात साल में शासन का नया मॉडल निर्मित हुआ है।
शासन के इस मॉडल में जनतंत्र की नवीन मान्यताएँ और मानक स्थापित हुए हैं। शिवराज मॉडल में जन और तंत्र के मध्य दूरियाँ समाप्त हुई है। शासन का संवेदनशील और मानवीय स्वरूप निर्मित हुआ है, जो व्यक्ति की विकास की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों में भी हाथ बँटाता है। यह मॉडल सहृदयता, उदारता और विश्वसनीयता जैसे उच्च मानवीय गुणों से ओत-प्रोत है। लौकिक लक्ष्यों के साथ ही आध्यात्मिक आनंद के प्रति भी संकल्पित है। शासन के इस शिवराज मॉडल में गरीब का कोई धर्म और जाति नहीं होती है, सरकार वही होती है, जो गरीब के लिये हो।
शिवराजसिंह चौहान ने 29 नवम्बर 2005 को सरकार का नेतृत्व ग्रहण करने के साथ ही शासन के इस मॉडल का क्रियान्वयन शुरू कर दिया। उन्होंने 30 नवम्बर 2005 को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में शासन की दिशा और दर्शन को स्पष्ट कर दिया। मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप 20 से 25 वर्ष के अग्रिम नियोजन के निर्देश देते हुए मध्यप्रदेश को देश के अग्रिम राज्यों की श्रेणी में लाने का लक्ष्य दे दिया। उन्होंने विकास के इस मॉडल की प्राथमिकताओं को भी तभी स्पष्ट कर दिया था। उन्होंने आम आदमी का जीवन बेहतर हो और विकास की गति तीव्र करने की दिशा में कार्य के निर्देश दिये थे। श्री चौहान की आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता के 7 वर्ष में स्पष्ट परिणाम मिलने लगे हैं।
मध्यप्रदेश आज एक मजबूत अर्थ-व्यवस्था वाला प्रदेश है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के 7.6 प्रतिशत आर्थिक विकास के लक्ष्य के विरूद्ध योजना के अंत में 10.20 प्रतिशत विकास दर हासिल की गयी। इससे पहले नवमीं पंचवर्षीय योजना में यह दर 8.49 प्रतिशत थी। इसी तरह ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में औसत कृषि विकास दर 9.04 प्रतिशत रही, जो एक शानदार उपलब्धि है। इस दौरान अखिल भारतीय कृषि विकास दर मात्र 3.3 प्रतिशत रही।
मध्यप्रदेश ने वर्ष 2011-12 में लगभग 12 प्रतिशत आर्थिक विकास दर और 18 प्रतिशत कृषि विकास दर हासिल कर अपनी आर्थिक मजबूती का परिचय दिया है। बीते पाँच वर्ष में प्रदेश की संचयी औद्योगिक विकास दर 9.82 प्रतिशत रही, जबकि अखिल भारतीय दर 6.83 रही। वर्ष 2011-12 में प्रदेश की औद्योगिक विकास दर अखिल भारतीय 3.95 की तुलना में 8.05 प्रतिशत रही। जीएसडीपी में सेकेण्ड्री सेक्टर (खनिज, विनिर्माण, ऊर्जा, निर्माण) का योगदान बढ़कर 33 प्रतिशत हो गया। निर्माण क्षेत्र में प्रदेश 16.69 प्रतिशत की दर से बढ़ा।
वर्ष 2011-12 में मध्यप्रदेश आर्थिक विकास दर में गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और तमिलनाडु से आगे है। प्रदेश ने कृषि उत्पादन में नया कीर्तिमान रचा है। बीते रबी मौसम में प्रदेश में 127 लाख टन का बम्पर गेहूँ उत्पादन हुआ। राज्य ने इतनी बड़ी उपलब्धि पायी है जब सिंचित क्षेत्र मात्र 32 प्रतिशत है। अधोसरंचना विकास के क्षेत्र में लगभग 70 हजार किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण और सुधार किया गया है। बिजली क्षेत्र में बहुत तेजी से काम हो रहा है। विद्युत उत्पादन क्षमता 9458 मेगावॉट हो गयी है। इसी प्रकार शिवराज सरकार की पहली मंत्रिपरिषद की बैठक 6 दिसम्बर 2005 ने एक बत्ती विद्युत कनेक्शन और 5 हॉर्सपावर के सिंचाई पम्पधारकों के बकाया को समाप्त कर सरकार की जनहितकारी प्राथमिकताओं का मार्ग खोला था।
आज सात वर्ष की अवधि में सरकार के जनहितकारी निर्णयों की पूरी श्रंखला बन गई है। शासन के इस मॉडल की अति विशिष्ट प्रमुखता नीति निर्माण प्रक्रिया में समाज की भागीदारी की है। सात वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित 26 पंचायत में समाज के सभी वर्गों को नीति निर्माण में भागीदारी मिली है। भागीदारी केवल शासकीय क्रियाकलापों तक ही सीमित नहीं है। उसमें संबंधों की आत्मीयता और उष्मा भी है। यही कारण है कि बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक, जैन हो अथवा बौद्ध सभी के उमंग और उत्साह के अवसरों पर मुख्यमंत्री निवास के द्वार आमजन के लिए खुल जाते हैं और सभी धर्मों के पर्व गरिमामय भव्यता के साथ मनाए जाते हैं।
शासन के इस मॉडल में आम आदमी के साथ सरकार उसके विकास के प्रयासों और खुशी के अवसरों के साथ ही उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों और पारिवारिक कष्टों में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती है। संतान के जन्म का अवसर हो। उसके लालन-पालन की जिम्मेदारी और विवाह का संस्कार हो। बीमारी, दुर्घटना अथवा मृत्यु की दुःखद स्थितियाँ हो सभी में सहयोग के लिए सरकार की योजनाएँं हैं। फिर चाहे वह जननी सुरक्षा योजना, मज़दूर सुरक्षा योजना हो, कन्यादान योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना हो अथवा दुर्घटना और अन्त्येष्टि सहायता, ऐसी अनेक योजनाएँ सरकार द्वारा संचालित की जा रही। बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए अथवा ग्रामीण उद्योगों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता में भी सरकार का सहयोग उपलब्ध है।
सरकार के इस मॉडल की विशिष्टिताओं में तात्कालिक सहायता और मदद के साथ ही दीर्घकालिक दूरगामी सुधार और परिवर्तन के प्रयास भी हो रहे हैं। भ्रष्टाचार की भयावह समस्या के समाधान की सार्थक पहल शासन के इस मॉडल में अंर्तनिहित है। ई-प्रशासन के माध्यम से भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के अनेक प्रभावी कार्य हुए हैं। ऑनलाइन सेवा प्रदाय और सेवा की समय-सीमा की गारंटी, ई-पेमेंट आदि के माध्यम से शासकीय कार्यों में पारदर्शिता और तत्परता आयी है। भ्रष्टाचार नियंत्रित हुआ है। इसके साथ ही भ्रष्टाचारियों को खोजकर दंडित करने की कार्रवाई भी तेज गति से हो रही है। भ्रष्टाचारी की सम्पत्ति राजसात करने के अभूतपूर्व प्रावधान के साथ ही दोषियों को कड़े दण्ड के लिए 8 विशेष न्यायालयों के गठन की ऐतिहासिक कार्रवाई भी की गई है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार के सात वर्ष ने शासन के समभावी जनोन्मुखी स्वरूप को विकसित किया है। जिसमें आर्थिक, प्रशासनिक मुद्दों के साथ ही सामाजिक चेतना भी शामिल है। इसीलिए बेटी बचाओ अभियान के शंखनाद के साथ ही बेटियों वाले परिवारों को वृद्धावस्था पेंशन की व्यवस्था भी सरकार कर रही है। बच्चे के जन्म की खुशियाँ आंगनवाड़ी केन्द्रों में मनाई जाती हैं तो वृद्धजन को तीथ-दर्शन करवाने के लिए भी सरकार की विशेष ट्रेनें चल रही है।
संक्षेप में कहे तो शिवराज सरकार के सात वर्ष में राज्य में तो यह मॉडल मज़बूत हुआ ही है उसकी ख्याति देश और विदेश में भी हो रही है। संयुक्त राष्ट्रसंघ राज्य को पुरस्कृत कर रहा है तो अन्य राज्य सरकारें मध्यप्रदेश की योजनाओं का अनुसरण करते हुए नीतियाँ बना रही हैं।