भोपाल मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्री-परिषद् की बैठक में शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति का अधिकार संबंधित प्रशासकीय विभाग को देने का निर्णय लिया गया। लोकायुक्त/ आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ की अनुशंसा पर संस्थित विभागीय जाँच प्रकरणों में अपचारी अधिकारी-कर्मचारी के दोषी पाये जाने पर प्रकरण में मंत्री-परिषद् समिति का अनुमोदन प्राप्त करने की अनिवार्यता को भी समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
मंत्री-परिषद् ने उच्च न्यायालय की स्थापना में द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के 200 पद के सृजन को मंजूरी दी। इनमें 10-10 पद निज सचिव, अनुविभाग अधिकारी, निज सहायक, शीघ्रलेखक, सहायक ग्रेड-1 और ग्रेड-2, रिकार्ड सप्लायर, वाहन चालक तथा जमादार के तथा 50 पद सहायक ग्रेड-3 और 20 पद आकस्मिक निधि से वेतनभोगी के शामिल हैं।
मंत्री-परिषद् ने आवासीय आयुक्त कार्यालय, मध्यप्रदेश भवन, नई दिल्ली में 7, विधानसभा सचिवालय में सहायक शिष्टाचार अधिकारी के दो, शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय, इंदौर के लिए 26 पद, प्रशासन अकादमी में 8, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तीन प्री-मेट्रिक कन्या छात्रावास के लिए 15 पद भी स्वीकृत किये।
मंत्री-परिषद् ने मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली 9 समूह जल प्रदाय योजना को प्रशासकीय स्वीकृति दी। इन परियोजनाओं से 383 गाँव की लगभग 5 लाख आबादी को लाभ होगा। योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक परिवार को नल कनेक्शन द्वारा जल प्रदाय किया जायेगा। प्रत्येक ग्रामवासी को 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी दिया जायेगा।
इन योजनाओं में दमहेड़ी समूह जल प्रदाय योजना, किरगी, करनपुरा, धसान, गोरिहार, बरियापुर, बडोनकला, इंदवार तथा सिंघोरा समूह जल प्रदाय योजना शामिल हैं।
मंत्री-परिषद् ने मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन में मुख्य अभियंता के पदों पर निर्माण विभाग, अर्द्ध-शासकीय उपक्रमों, मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से प्रतिनियुक्ति पर मूलत: मुख्य अभियंता का पद धारण करने वाले अधिकारी ही पदस्थ किये जाये। यदि मुख्य अभियंता की सेवाएँ प्राप्त करना संभव न हो तो अधीक्षण यंत्री के पद पर कम से कम 5 वर्ष की वरिष्ठता वाले अधिकारी की पदस्थापना मुख्य अभियंता के पद के विरुद्ध की जाये।
इस संदर्भ में मंत्री-परिषद् ने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को प्रभावी बनाने के लिए एक कमेटी बनाने का भी निर्णय लिया। कमेटी में मंत्रीगण एवं संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव होंगें।
मंत्री-परिषद् ने मध्यप्रदेश लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम-1981 की धारा-5 में संशोधन का निर्णय लिया। संशोधन के अनुसार लोकायुक्त, उनकी पदावधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद पर बने रहेंगें जब तक उनका उत्तराधिकारी नियुक्त न कर दिया जाये और वह अपना पदभार ग्रहण न कर ले। किन्तु यह बढ़ी हुई कालावधि किसी भी दशा में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी।
मंत्री-परिषद् ने सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा संचालित 41 मान्यता प्राप्त संस्था एवं प्रत्येक जिले में स्थापित जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र के 106 शिक्षक/ कर्मियों को बढ़ा हुआ विशेष भत्ता एक अप्रैल 2014 से स्वीकृत करने का निर्णय लिया।
मंत्री-परिषद् ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के बेकलाग, केरीफारवर्ड पदों के साथ ही नि:शक्तजनों के आरक्षित पदों के लिए विशेष भर्ती अभियान की समय-सीमा को 30 जून 2015 तक बढ़ाने के मुख्यमंत्री के निर्देश का अनुसमर्थन किया।
मंत्री-परिषद् ने 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम द्वारा स्वीकृत 1402.22 करोड़ लागत की 34 योजना की स्वीकृति और नियम एवं शर्तों पर सहमति प्रदान की।
मंत्री-परिषद् ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन युनिवर्सिटी, भोपाल के संबंध में प्रस्तुत संशोधन विधेयक-2014 के प्रारूप को अनुमति दी।
मंत्री-परिषद् ने संविलियन योजना की तिथि को तीन माह बढ़ाने का निर्णय लिया। यह तिथि 11 अगस्त, 2014 को समाप्त हो गई थी। साथ ही राज्य तिलहन संघ मर्यादित भोपाल के मध्यप्रदेश मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर तीन कर्मचारी का अनारक्षित वर्ग के रिक्त पदों के विरुद्ध संविलियन करने का निर्णय लिया गया।
मंत्री-परिषद् ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत तिलहन संघ के प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ 123 पात्र व्यक्ति के संविलियन की स्वीकृति दी।
तिलहन संघ के कर्मचारियों के संविलियन के संबंध में तैयार की गई योजना में निर्धारित मापदंडों के अनुरूप सहकारिता विभाग ने प्रतिनियुक्तिपर कार्यरत तिलहन संघ के 76 उप अंकेक्षक के पदों पर कार्यरत लोगों का संविलियन उन्हीं पदों पर करने की मंत्री-परिषद् ने स्वीकृति दी।