कटनी ! जिले में शराब ठेके के दौरान हुए फर्जीवाड़े के मामले में कलेक्टर प्रकाश जांगरे व आबकारी अधिकारी आरसी त्रिवेदी के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व 13 बी के तहत एफ आईआर दर्ज की है।
आरोप हैं कि अपने पद का दुरूपयोग करते हुए कलेक्टर व आबकारी अधिकारी ने ठेकेदारों से सांठ-गांठ कर अमाानत राशि के रूप में फर्जी डीडी जमा कराई थी जिससे शासन को लगभग 7 करेाड़ के राजस्व की हानि हुई थी। अनियमितताओं के चलते शराब दुकानों के ठेके निरस्त भी करने पड़े थे। गौरतलब है कि जिले में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 62 शराब दुकानों की नीलामी हुई थी जिस दौरान 44 शराब दुकानों के लिए संबंधित ठेकेदार द्वारा जमा की गई केनरा बैंक से जारी डीडी कूट रचित पाई गई थी। शिकायत के आधार पर पुलिस द्वारा केनरा बैंक के डीजीएम अशोक कुमार साहू, तत्काली बैंक प्रबंधक केडी दुबे सहित कुल 27 लोगों केा आरेापी बनाया गया था। हालाकि बैंक अधिकारियों के के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद बैंक प्रबंधन ने उन्हें निलंबित भी कर दिया गया था लेकिन इस पूरे मामले के मास्टरमाईंड शराब ठेकेदार केा पकडऩे में पुलिस नाकाम रही है। मामले की जांच पुलिस मुुख्यालय भोपाल के आदेश के बाद सीआईडी को सौंप दी गई जिसके बाद सीआईडी तो जांच पड़ताल में जुटी ही है लेकिन लोकायुक्त द्वारा भी छानबीन की जा रही थी और लोकायुक्त जबलपुर की टीम द्वारा आखिरकार जांच के दौरान कलेक्टर व आबकारी अधिकारी को मामले में दोषी पाया।
आरोपी अधिकारियों पर अपने पद का दुरूपयोग कर शराब ठेकेदार को लाभ पहुंचाने व राजस्व को चूना लगाने में भूमिका निभाने के आरोप हैं जिसके कारण उनके विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है।
शराब दुकानों के लिए हुई टेंडर प्रक्रिया शुरू से ही अनियमितताओं के घेरे में रही है औ प्रक्रिया केा लेकर सवाल खड़े होने लगे थे। आखिरकार शराब ठेकेदारों द्वारा दी गई फर्जी डीडी ने जिला प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं और उसके बाद अनियमितताओं की कलई पर्त दर पर्त खुलना शुरू हो गई। जिला आबकारी अधिकारी आरसी त्रिवेदी ने कोतवाली थाने में 22 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया था कि शराब दुकानों के टेंडर प्रक्रिया के दौरान 34 डीडी ठेकेदारों द्वारा दी गई थी जिसमें 13 डीडी का करीब 5 करोड़ का भुगतान बैंक द्वारा कर दिया गया था लेकिन 21 डीडी का 8 करोड़ 20 लाख रूपयों का भुगतान नहीं किया गया था।