बैतूल ! विद्यालय को शिक्षा का मंदिर और शिक्षक को भगवान मानकर बच्चों को राष्ट्र का भावी नागरिक बनाकर राष्ट्र हित का कार्य शासन की मंशा में है, परंतु यदि विद्या का दाता ही पाठशाला में शराब के नशे में धुत्त होकर बच्चों को शिक्षा दे तो वह शिक्षा बच्चों को किस दिशा में भटकाएगी शायद इसका ख्याल शिक्षा विभाग के उन जिम्मेदारों को नहीं है जो शासन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में चलाई जा रही योजना और व्यवस्था के प्रति जवाबदेही है या जानकर भी अंजान है। ऐसा ही वाकिया भैंसदेही विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत मच्छी के अंतर्गत आने वाली प्राथमिक शाला खोदरी का है, जहां का सहायक शिक्षक रामचरण जावरकर प्रतिदिन मदिरापान कर स्कूल पहुंचता है और नशे में धुत्त होकर बच्चों को शिक्षा देता है।
बताया गया है कि उक्त शिक्षक का यह प्रतिदिन का आलम है। शिक्षक ने इतना तक कह दिया कि मुझे ‘लिटिल-लिटिलÓ लेना पड़ता है नहीं तो मेरे हाथ पैर कांपने लग जाते है। उक्त शिक्षक द्वारा यह भी बताया गया कि मुझे नागपुर से लेकर भैंसदेही तक के डॉक्टरों ने थोड़ी थोड़ी पिया करो की सलाह दी है, जबकि कोई भी डॉक्टर किसी भी व्यक्ति को पीने की सलाह भला कैसे दे सकता है। यह शिक्षक प्रतिदिन शाला में शराब पीकर आता है और थोड़ी ही उतरने के बाद फिर गांव में जाकर पी लेता है। विदित हो कि प्राथमिक शाला खोदरी में कक्षा एक से पांच तक में 85 बच्चे अध्ययनरत है। प्रधान पाठक के रूप में एकमात्र महिला शिक्षक और एक संविदा शिक्षक बच्चों के शिक्षा का भविष्य बनाने का अपनी ओर से भरसक प्रयत्न कर रहे है।
बताया गया कि ग्रामीणों द्वारा कई बार जिला मुख्यालय जाकर शिकायत की परंतु कोई असर नहीं हुआ। आज भी प्राथमिक शाला खोदरी में यह शिक्षक अपनी शराब की लत को बरकरार रख पाठशाला में पढ़ा रहा है। सोचने की बात यह है कि इन नौनिहालो का भविष्य का क्या होगा जहां शराबी शिक्षक शिक्षा का पाठ पढ़ा रहा हो।