नयी दिल्ली ! कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल(व्यापम) घोटाले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) से कराने का अनुरोध करते हुये न्यायालय में याचिका दायर की है।
श्री सिंह ने आज यहां कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने व्यापम मामले के कई अभियुक्तों और गवाहों की मौत होने पर गहरी चिन्ता व्यक्त की । उन्होंने बताया कि इस मामले से संबंधित 43 गवाहों और अभियुक्तों की अब तक मौत हो चुकी है। उनका कहना था कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) भी इस मामले से जुड़े 21 से 25 लोगों की मौत की बात स्वीकार करती है। उन्होंने सवाल किया कि व्यापम घोटाले से जुड़े लोगों की मौत होने का क्या कारण है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि व्यापम घोटाले की जांच से जुड़े अधिकारियों ने हाल में इसके एक अभियुक्त नरेन्द्र तोमर से सात लाख रूपये की मांग की थी। इसके बाद तोमर ने कहा था कि अगली सुनवाई के दौरान वह इस घोटाले से जुड़े तमाम बड़े लोगों के नामों का खुलासा करेगा और इसके कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गयी ।
श्री सिंह ने कहा कि 2006 से 2013 तक व्यापम घोटाला हुआ। इस मामले में 2000 लोग गिरफ्तार हुए तथा 600 लोग फरार हैं। इस मामले के अभियुक्तों में चार-पांच राज्यों के लोग हैं। इस घोटाले को लेकर राज्यपाल और उनके पुत्र के खिलाफ मामले दर्ज किये गये तथा राज्य के मंत्री, मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी तथा कुछ अन्य अधिकारी जेल गए हैं।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर व्यापम घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया है लेकिन यह कारगर साबित नहीं रहा है इसलिए वह इस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि व्यापम के माध्यम से राज्य में कुल एक लाख 20 हजार लोगों की नियुक्ति की गयी लेकिन जांच सिर्फ मेडिकल भर्ती परीक्षा और शिक्षकों के वर्ग दो और तीन में हुई नियुक्ति की ही की जा रही है। उन्होंने कहा कि मेडिकल भर्ती परीक्षा में उम्मीदवारों के चयन को लेकर बड़े पैमान पर धन राशि ली गयी और असली परीक्षार्थी की जगह दूसरे लोगों को परीक्षा में बैठाया गया।