नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने भाजपा शासित मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के सभी मामलों की जांच की जिम्मेदारी लेने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को तीन सप्ताह का वक्त दिया। जांच एजेंसी ने इसके लिए सात-आठ सप्ताह की समय सीमा मांगी थी, जिसे न्यायालय ने शुक्रवार को नामंजूर कर दिया।
महाधिवक्ता रंजीत कुमार ने न्यायालय से कहा कि जांच एजेंसी तीन सप्ताह बाद वापस आएगी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा तथा न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने कहा, “यदि सही ढंग से अनुपालन (हमारे आदेश का) होगा, तो हम आपको और अधिक समय देंगे।”
न्यायालय ने सीबीआई की विशेष अदालत में व्यापमं के मामलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए स्वतंत्र वकीलों की नियुक्ति के लिए छह सप्ताह का वक्त दिया।
न्यायालय ने सात अगस्त को महान्यायवादी मुकुल रोहतगी की न्यायालय में उपस्थिति की मांग की, क्योंकि उन्होंने कहा था कि सीबीआई में रिक्तियों की भर्ती के लिए वह कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग से बात करेंगे, क्योंकि यह समस्या एजेंसी द्वारा मामले की जांच के आड़े आ रही है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा, “कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग को अदालत में उपस्थित होने दीजिए, हम उन्हें रिक्तियों को भरने का निर्देश देंगे।”
महाधिवक्ता ने न्यायालय से मध्य प्रदेश सरकार को 250 कर्मचारियों की सेवा उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
न्यायालय को बताया गया कि कथित तौर पर व्यापमं से जुड़ीं 34 मौतों के सिलसिले में एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी, सीबीआई ने अब तक 11 मामले दर्ज किए।