अर्जी हाईकोर्ट में दाखिल
भोपाल ! मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने को लेकर कई दिनों तक ना-नुकुर करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को सीबीआई जांच को तैयार हो गए। उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार की दोपहर में प्रेसवार्ता कर व्यापमं मामले और इससे जुड़े मामले की सीबीआई से जांच कराने के लिए उच्च न्यायालय को अनुरोधपत्र लिखने का ऐलान किया था। दोपहर बाद न्यायालय में याचिका देकर व्यापमं मामले की सीबीआई से जांच का अनुरोध किया गया। इस बात की पुष्टि जनसंपर्क विभाग के आयुक्त अनुपम राजन ने की।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की याचिका हवाई जहाज के जरिए भोपाल से जबलपुर भेजा गया। इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है।
शिवराज सीबीआई जांच को तैयार तब हुए, जब सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापमं मामले की सीबीआई जांच वाली सभी याचिकाओं की सुनवाई की तारीख 9 जुलाई तय की दी।
शिवराज ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में पीएमटी में हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद ही उन्होंने यह मामला एसटीएफ को सौंपा था। फिर उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया। एसआईटी की देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही है। राज्य सरकार का इस जांच से अब कोई लेनादेना नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि एसआईटी की निगरानी में चल रही जांच पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की, वे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय गए, मगर न्यायालय ने भी माना कि जांच ठीक चल रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “लगातार सवाल उठ रहे थे कि व्यापमं मामले की जांच सीबीआई को क्यों नहीं दी जा रही है, तब मेरा उत्तर था कि सीबीआई को सीधे जांच सौंपने का अधिकार मुझे और राज्य सरकार को नहीं है, क्योंकि उच्च न्याायालय मामले की मॉनीटिरिंग कर रहा है। उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय ने भी एसआईटी की जांच को सही बताया है।”
शिवराज ने बदली हुई परिस्थितियों और मौतों को लेकर चल रही बहस का हवाला देते हुए कहा कि देश और प्रदेश में ऐसा वातावरण बना है कि सीबीआई जांच क्यों नहीं। जो सवाल उठे हैं, उनका समाधान जरूरी है, लोकतंत्र में जनता का जो शासक होता है, वह सेवक होता है और उसे संदेह से परे होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जनता भी सच जानना चाहती है, इसलिए सवालों का समाधान जरूरी है। मैं जनमत के आगे शीष झुकाता हूं और उच्च न्यायालय को एक अनुरोध पत्र लिख रहा हूं कि वे व्यापमं मामले की जांच सीबीआई से कराने की कृपा करें।”
शिवराज ने दिल्ली के पत्रकार अक्षय सिंह सहित अन्य मौतों पर भी दुख जताया। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद करार दिया और कहा कि कांग्रेस ने जो फर्जी कागजात जारी किए हैं, उनका भी खुलासा हो जाएगा। जब उनसे उनके परिवार से जुड़े लोगों की व्यापमं घोटाले में संलिप्तता के आरोप पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो वह चुप रहे।
राज्य में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) वह संस्था है जो इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज में दाखिले सहित उन सभी नियुक्ति परीक्षाएं आयोजित करता है, जो मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) आयोजित नहीं करता। इन दाखिलों और भर्तियों में हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद जुलाई, 2013 में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस मामले में अब तक 21 सौ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।