भोपाल। व्यापमं घोटाले को लेकर बुरी तरह से घिरे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि इसकी जांच में बड़ी मछलियों को बचाया नहीं जा रहा है। मध्य प्रदेश प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव व्यापमं घोटाले में आरोपी नंबर 10 हैं। हालांकि राज्यपाल संवैधानिक कवच के कारण जांच के दायरे से बाहर हैं। दूसरी तरफ राज्यपाल के अलावा इस मामले के ज्यादातर आरोपी जेल में हैं। उच्चतम न्यायालय के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने कहा, ‘इन सूचनाओं के आधार पर राज्यपाल को जांच के दायरे में जरूर लाना चाहिए। क्या भाजपा राज्यपाल के जरिए मुख्यमंत्री को बचाने की कोशिश कर रही है? दिग्विजय सिंह ने कहा कि है कि इस स्कैम में शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी दोनों शामिल हैं। राज्यपाल को पद से हटाना चाहिए। दरअसल, बीजेपी भेद खुल जाने से डर रही है।’ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करने जा रहा है। एससी राज्यपाल को हटाने का निर्देश दे सकता है। व्यापमं घोटाले की जांच कर रहे मध्य प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स ने पिछले साल राज्यपाल और उनके बेटे द्वारा इस मामले में रिश्वत लेने की एफआईआर दर्ज की थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल जब तक पद पर हैं तब तक उनकी जांच नहीं की जा सकती। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि पुलिस राज्यपाल का बयान दर्ज कर सकती है। राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव से मार्च में एसटीएफ पूछताछ नहीं कर पाया था क्योंकि लखनऊ में वह मृत मिले थे। राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर के लिए वीरपाल सिंह ने अपील की थी। वीरपाल को बाद में अरेस्ट कर लिया गया था। वीरपाल सिंह ने आरोप लगाया था कि शैलेश यादव के जरिए राज्यपाल ऑफिस को 3 लाख रुपये दिए गए थे। राज्यपाल ऑफिस के जरिए 10 कैंडिडेट को टीचर्स की परीक्षा में नकल करा कर पास कराने की बात सामने आई थी भाजपा ने जब केंद्र की सत्ता संभाली तो कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपालों को हटाने में देरी नहीं की। भाजपा ने कई राज्यों में सत्ता संभालते ही अपने लोगों को राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी। अब कांग्रेस ही पूछ रही है कि जिस राज्यपाल का नाम व्यापमं घोटाले में सामने आया है उसे भाजपा हटाने से क्यों बच रही है।