कोरोना वायरस से बचने में मास्क महत्वपूर्ण हथियार बन गया है। नांक मुंह में फिट मास्क इसलिए जरूरी हैं। ताकि किसी प्रकार का संक्रमण अंदर न पहुंच सके। यह अब जीवन का हिस्सा बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि वैक्सीन लगने से पहले मास्क ही लोगों को संक्रमण के प्रभाव में आने से बचा सकता है। क्योंकि न केवल कोरोना बल्कि टीबी सांस के रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। अभी कई प्रकार वैरिएंट सामने आ चुके हैं। जिनके अटैक से मरीज संक्रमित हो रहा है। लेकिन मास्क पहनने वाला व्यक्ति का यह संक्रमण कुछ नहीं कर पाया है। यह एक कारगर हथियार के रूप में सामने आया है।
केजीएमयू में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी का कहना है कि मास्क म्यूटेशन की इन्ट्री को रोकता है। इससे शरीर के अंदर पहुंचने के बाद वह अलग-अलग प्रभाव दिखाते हैं। वर्तमान में जो बदलाव वाला वायरस शरीर के अंदर पहुंचता है तो उसकी संक्रमकता बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि एक बार संक्रमित खांसने में दो सौ करोड़ वायरस निकलते हैं। उसके पास चाय पीने बैठने वाला बोल रहा है, तो उसमें भी वायरस निकलते हैं। संक्रमित व्यक्ति के आस-पास बैठकर चाय पी रहे तो भी वायरस निकलते हैं। मास्क का उपयोग सही प्रकार से होना चाहिए।
डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि मास्क नीचे करके चाय पी फिर उपर करने का तरीका बिल्कुल गलत है। मास्क को एक बार उपयोग के बाद उसे फेंक दें। दूसरा मास्क लगाएं। ट्रिपल सर्जिकल मास्क को गीला लगने पर तुरंत बदल दें। अगर ज्यादा देर तक भीड़-भाड़ इलाके में रहते हैं तो मास्क को तुरंत बदल देना चाहिए। ट्रिपल लेयर मास्क सर्जिकल पब्लिक के लिए बहुत अच्छा है। एन 95 मास्क डाक्टर के लिए फ्रन्ट लाइन वर्कर के लिए है। उन्हें लगाने दें।
आमजन कपड़े के तीन परतों वाले मास्क पहनना काफी सुरक्षित है। उसे धोकर सुखा लें। उन्होंने बताया कि 2020 का डाटा देखें तो पता चला कि मास्क के कारण टीबी के 30 प्रतिशत कम नोटीफाइड हुए है। अभी मृत्यदर का डाटा नहीं आया है। अगर इसमें भी कमीं हुई होगी तो यह बड़ी विजय होगी। मास्क सिर्फ वायरस को नहीं रोकता यह वैक्टरिया को भी रोकता है। जिसमें टीबी के वैक्टरिया शामिल है। यह प्रदूषण को भी कम करता है। इसलिए मास्क लगाने से सांस टीबी के मरीज कम हुए है। टीकाकरण के बाद भी इसका लगाना जरूरी है। यह जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
माइक्रो बायोलॉजी विभाग की डॉ। शीतल वर्मा ने बताया कि देखा गया है कि मास्क ठीक से पहनने से संक्रमण से 80-90 प्रतिशत बचाव हो सकता है। हर मास्क का अलग-2 बचाव है। अभी वैरिएंट कितने प्रकार इस पर अध्ययन हो रहा है। कुछ म्यूटेशन से वायरस कमजोर हो जाता है। लेकिन अभी यह शोध क विषय है। एक काटन का मास्क सर्जिकल पहने से काफी हद तक संक्रमण से सुरक्षा हो सकती है। मास्क पहनने के तरीके के बारे में लोग गूगल, यूट्यूब में देख सकते हैं।
बार-बार मास्क को छूना नहीं चाहिए। उसे उतारने की भी जरूरत नहीं है। घर के अंदर पहनने की अवश्यकता नहीं अगर बाहर जाएं जो जरूर पहनें। आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र ई-स्पिन नैनोटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ. संदीप पाटिल का कहना है कि मास्क लोगों को 90 प्रतिशत संक्रमण से बचाता है। संक्रमण से बचाने के लिए मास्क बहुत कारगर हथियार है। मास्क चेहरे को पूरा कवर करने वाला होना चाहिए। उसे बीच में न तो छूना चाहिए न ही वहां से खिसकाकर पहनना या उतारना चाहिए। जब आप घर, दफ्तर या कार में हों तो मास्क उतार सकते हैं। बाकी बाहर व भीड़ में होने पर लगाए रखें।