भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार किसानों को आर्थिक संकट से उभार ने के लिए खुद कर्जदार होती जा रही है। सरकार ने एक बार फिर एक हाजर करोड़ का कर्ज लिया है। कमलनाथ सरकार ने पूर्व के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, अब किसी सरकार ने एक महीने में तीन बार कर्ज बाजार से नहीं लिया है।
दरअसल, जब बीजेपी की सरकार थी तब कर्ज लेने पर विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस सरकार का जमकर विरोध करती थी। लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस भी तत्कालीन सरकार के नक्शे कदम पर चल ही है। कर्ज लेने के तरीके में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। सरकार को सत्ता में आए दो मीहने हुए हैं लेकिन कर्ज 4000 करोड़ का ले चुकी है। जनवरी में भी सरकार ने बाजार से एक हजार करोड़ का कर्ज उठाया था। वहीं फरवरी माह में एक फरवरी , 8 फरवरी और अब 24 फरवरी को भी 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है। इस तरह एक माह की अवधि में ही कर्ज की यह राशि 3000 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है।
वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक सरकार का खजाना खाली हो चुका है। सरकार नगदी के भारी संकट से गुजर रही है। सरकार ने अनुपूरक बजट में 22 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। लेकिन सरकारी खजाने की आर्थिक हालत खराब होने के चलते सरकार सिर्फ 7 हजार करोड़ का ही इंतेजाम करने में सफल हुई है। वहीं, दूसरी ओर किसान कर्ज माफी की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। कर्ज चुकाने के लिए सरकार को खासे फंड की आवश्यकता है। किसान कर्ज माफी के चलते कई विभागों में अबतक अनुपूरक बजट में जो राशि का प्रावधान किया गया था, वह राशि अब तक उनको नहीं मिल सकी है। अब तो अनुपूरक बजट को सदन में पारित हुए डेढ़ माह से भी ज्यादा समय हो गये हैं, उसके बाद भी विभागों को राशि आवंटित नहीं करने से विभागों के सामने भी भुगतान का संकट आ खड़ा हुआ है।
अब मौजूदा वित्तीय वर्ष को समाप्त होने में एक माह का ही समय बचा है। ऐसे में राज्य सरकार अपनी साख को भुनाते हुए मार्च में भी कम से कम 3000 करोड़ रुपये का कर्ज ले सकती है, जिससे कि वेतन, भत्तों के लिये कुछ राशि का इंतजाम किया जा सके। मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार का कर्ज अब बढक़र 14700 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है। हांलाकि राज्य सरकार अपनी जीएसडीपी का 3.5 फीसदी तक कर्ज ले सकती है। यानि वह लगभग 26000 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से एक वित्तीय वर्ष में उठा सकती है।