वुहान (चीन): भारत और चीन शुक्रवार (27 अप्रैल) को मध्य चीनी शहर वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली दो दिवसीय अनौपचारिक बैठक के बाद अपने तनावपूर्ण संबंध को फिर से व्यस्थित करने के लिए तैयार हैं. एशियाई के दोनों बड़े देश 1962 में युद्ध के मैदान में एक-दूसरे से टकरा चुके हैं और दोनों देशों के बीच आपसी असहमति का रिश्ता रहा है. वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद ने दोनों देशों के संबंधों को फिर से निचले स्तर पर पहुंचा दिया था.
हालांकि इस बार मोदी और शी के बीच चीन के हृदय (वुहान) में ‘अपने तरह की एक अलग बैठक’ यह बताने के लिए काफी है कि दोनों देश अपने तनावपूर्ण संबंधों में नयापन लाने के इच्छुक हैं. शी-मोदी की बैठक पहले की तुलना में अलग होगी, क्योंकि इस बार बातचीत की कोरियोग्राफी नहीं की जाएगी और वहां केवल मंडारिन बोलने वाला एक भारतीय दुभाषिया मौजूद रहेगा. एक अधिकारी ने कहा, “यह विचार शियामेन सम्मेलन के दौरान उत्पन्न हुआ था.”
चीनी और भारतीय अधिकारियों ने कहा, “इन दो दिनों के दौरान दोनों नेता एक या दो बार नहीं, बल्कि ‘कई’ बार मुलाकात करेंगे और दिल-से-दिल की बात करेंगे.” पुष्ट सूत्रों के मुताबिक, “मोदी और शी वुहान में माओत्से तुंग के ऐतिहासिक विला के नजदीक इस्ट लेक के पास समय गुजार सकते हैं या नौका विहार कर सकते हैं.”
बैठक के लिए हालांकि कोई औपचारिक एजेंडा नहीं है और दोनों नेता बातचीत के दौरान विवादस्पद मुद्दों जैसे सीमा विवाद संबंधी संयुक्त बयान भी जारी नहीं करेंगे. चीनी सरकार के एक-एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि शी भारत को किस तरह का महत्व दे रहे हैं, यह पहली बार है कि वह किसी विदेशी नेता के साथ इस तरह की बैठक कर रहे हैं. वे लोग सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत करेंगे.”