ग्वालियर। दुनिया मे क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, जैसा हम दूसरों के साथ व्यवहार करते है। वहीं व्यवहार लौट कर हमारे पास आ जाता है। दूसरों का जो अहित सोचता है, उसका स्वयं अहित हो जाता है जो दूसरों का अहित करता हैं उसका स्वयं का अहित हो जाता है। नफरत के बदले नफरत और प्रेम के बदले प्रेम मिलता है। जैसा फल बीज बोया जाता है वैसा फल मिलता है। इसलिए अपने जीवन के प्याले मे कटुता का जहर नहीं मधुरता का अमृत भरिए। यह विचार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने बुधवार को माधौगंज स्थित दिंगबर जैन मदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहाकि अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन पानी पर ध्यान दीजिए। शाकहारी भोजन करने से शरीर स्वस्थ रहता है। हमेशा मां के हाथ से भोजन करना चाहिए एवं मां के मुख से शिक्षा ग्रहण करना चाहिए, जिसे गुरू के वचनों पर विश्वास होता है। वही सच्चा महात्मा है। बिना विश्वास के कोई रिश्ता नही चलता। आज घर समाज एवं परिवार टूट रहें है, इसका मुख्य कारण विश्वास की कमी है जहॉ संदेह का भूत प्रवेश कर जाता है वहां मित्रता समाप्त हो जाती है। जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया ंकि मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज, मुनिश्री विजयेष सागर महाराज संसघ का आज बुधवार को माधौगंज जैन मदिर में मंगल प्रवेश हुआ। जैन समाज के लोगो ने मुनिश्री की आगवानी कर पाद प्रक्षालन कर भव्य आरती उतारी कर आर्शिवाद लिया।