भोपाल। राजधानी में गैंगरेप और महिला उत्पीड़न के स्थगन प्रस्ताव को लेकर विधानसभा में दो दिनों से चल आ रहा गतिरोध समाप्त हो गया। प्रस्ताव को लेकर गुरूवार को भी विधानसभा में कांग्रेस ने हंगामा किया। इसको लेकर सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। बाद में अध्यक्ष ने इस मामले में शुक्रवार को चर्चा कराए जाने का कांग्रेस को आश्वासन दिया।
तीसरे दिन खत्म हुआ गतिरोध

मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चैथे दिन सदन में कांग्रेस का हंगामा जारी रहा। महिला अत्याचार को लेकर कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग पर दो दिनों से चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया। गुरूवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रश्नकाल के दौरान नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह और कांग्रेस के तमाम विधायक प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग पर अड़े रहे। भारी हंगामे और नारेबाजी करते हुए कांग्रेस विधायक आसंदी के पास पहुंच गए।हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा ने सदन की कार्यवाही दस-दस मिनट के लिए दो बार स्थगित की।
अध्यक्ष से चर्चा के बाद खत्म हुआ गतिरोध

इस मामले में सदन के बाहर अध्यक्ष के कक्ष में कांग्रेस विधायक पहुंचे और गतिरोध समाप्त करने के प्रयास किए। दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई और अध्यक्ष ने सदन में कांग्रेस की मांग पर नियम 130 के तहत शुक्रवार को चर्चा कराने का आश्वासन दिया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि क्या मजबूरी थी कि विधानसभा अध्यक्ष महिला उत्पीड़न पर चर्चा नहीं कराना चाहते थे ये समझ से परे है। काफी जद्दोजहद के बाद अध्यक्ष ने इस पर चर्चा की हरी झंडी दे दी है।
कांग्रेस अब कटघरे में: शुक्ल

इधर सरकार के मंत्री राजेन्द्र शुक्ल का कहना है कि कांग्रेस अब कटघरे में है। विपक्ष के रवैये के कारण विधायकों के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा नहीं हो पाई इसके लिए वह जिम्मेदार है। विपक्ष के सदस्यों की ये कमजोरी है कि वह अध्यक्ष की बात को समझ नहीं पाए और जिसमें अध्यक्ष ने उचित समय पर निर्णय लेने की बात कही थी।
क्या है नियम 130

महिला उत्पीड़न के मामले में चर्चा को विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 130 के तहत स्वीकार किया है। नियम 130 यह कहता है कि इसके तहत सत्ता और विपक्ष के चुनिंदा विधायक ही विषय पर सदन में अपनी बात रखेंगे। जबकि नियम 139 के तहत स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का प्रावधान है जिसमें बोलने वाले विधायकों की संख्या सीमित नहीं होती।

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