भोपाल। भोपाल में श्यामला हिल्स स्थित टैगोर होस्टल प्रांगण में चल रहे विशाल सिद्धचक्र महामंडल विधान के चौथे दिन सिंगापुर से आए डॉ. सलिल जैन ने शांतिधारा की। इस अवसर पर मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज जी ने कहा कि वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है इसे मानना चाहिए, लेकिन साथ-साथ वास्तविकता का भी ज्ञान होना चाहिए। वास्तु विज्ञान हमारे कर्मों के कारण होने वाले सुख-दुख को नहीं बदल सकता। मुनिश्री ने कहा कि ज्योतिष पर भरोसा किया जा सकता है, लेेकिन सभी ज्योतषियों पर नहीं। इस विधान में शामिल होने अब देशभर से लोगों का आना शुरू हो गया है। जिनवाणी को पुस्तक के रूप में घर-घर पहुंचाने वाले जानेमाने ब्रह्मचारी प्रदीप जैन पीयूष भी आज विधान में शामिल हुए।
इस विधान के लिए विशाल मंडप तैयार किया गया है। मंडप में एक साथ पांच हजार लोग बैठकर जिनेन्द्र भगवान की आराधना कर रहे हैं। मंगलवार को सुबह प्रतिष्ठाचार्य अभय भैया और सहप्रतिष्ठाचार्य अमित भैया ने मंत्रोच्चारण के साथ भगवान का अभिषेक कराया। विदिशा के रहने वाले और सिंगापुर में डॉक्टर के रूप में प्रतिष्ठा पाने वाले डॉ. सलिल जैन इस विधान के लिए विशेष रूप से भोपाल आए हैं। उन्होंने आज सपरिवार भगवान की शांतिधारा की। शांतिधारा का वाचन मुनि प्रमाण सागर, मुनि प्रसाद सागर और मुनि निकलंक सागर जी ने किया। भोपाल के जाने-माने वकील विनीत गोधा और जाने-माने समाजसेवी प्रभात जैन चक्रवर्ती को मुख्य पुर्णाजक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। दोनों ने मुख्य मंडप में परिवार सहित पूजन एवं अभिषेक किया।
इस अवसर पर मुनि प्रमाण सागर जी महाराज ने कहा कि वास्तु एक विज्ञान है लेकिन कुछ लोगों ने इसका हौवा बना दिया है। उन्होंने कहा कि वास्तु को मानना चाहिए, लेकिन जीवन की वास्तविकता को भी जानना चाहिए। वास्तु किसी के कर्मों के परिणामों को नहीं रोक सकता। मुनिश्री ने कहा कि वे देश के एक बड़े वास्तुविद को जानते हैं जो इस विज्ञान में निपुण हैं। लेकिन उनके परिवार के संकट को वे दूर नहीं कर सके। क्योंकि यह संकट कर्मों के कारण था। मुनिश्री ने कहा कि वास्तु की तरह ही ज्योतिष भी विज्ञान है, लेकिन ज्योतिषियों ने इसे अपने आय का साधन बना दिया है। कुछ लोग इसके नाम पर डराकर कमाते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।
देशभर में जिनवाणी को पुस्तक के रूप में बेहद कम कीमत पर हर मंदिर और हर घर में पहुंचाने वाले जाने-माने प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी प्रदीप जैन पीयूष भी आज भोपाल पहुंच गए हैं। उन्होंने मुनिश्री के दर्शन किए और विधान में अर्घ चढ़ाए। समाज ने पीयूषजी को पूरे विधान में शामिल होने का आग्रह किया।
आचार्य विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से पूरे देशभर में जीव रक्षा के लिए काम करने वाले और सैकड़ों गौशालाओं का संचालन करने वाले प्रभात जैन मुंबई भी मुनिश्री का आशीर्वाद लेने भोपाल पहुंचे। भोपाल जैन समाज ने उनका सम्मान किया। उनके साथ सुरेन्द्र जैन बासौदा भी शामिल थे।
ऐसी मान्यता है कि सिद्धचक्र महामंडल विधान में मंत्रों के साथ भगवान का अभिषेक किया जाता है। उस अभिषेक के जल (गंदोधक) को चर्म रोगी पर छिड़कने से उसका रोग दूर हो जाता है। इस संबंध में जैन शास्त्रों मैना सुंदरी की कथा का भी वर्णन है। यही कारण है कि विधान में शामिल लोग गंदोधक अपने साथ ले जा रहे हैं।