भोपाल। मध्यप्रदेश में अपने मूल निवास स्थान से दूसरे जिलों में जाकर लाक डाउन में फंस गए हजारों मजदूरों की अब उनके मूल जिलों में वापसी हो सकेगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव के सुझाव पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के भीतर फंसे हुए मजदूरों की आवाजाही के लिए स्टैंडर्ड आॅपरेटिंग सिस्टम जारी किया है।
इसके तहत केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के बाहर मजदूरों की किसी भी तरह की आवाजाही नहीं होगी। लेकिन अगर प्रवासी मजदूरों का एक समूह राज्य के अंदर ही अपने कार्य स्थानों पर जाना चाहता है, तो उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी और जिनमें बीमारी के लक्षण नहीं होंगे। उन्हें उनके संबंधित कार्य स्थानों पर ले जाया जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में मनरेगा के तहत 136 तरह के व्यक्ति मूलक काम प्रारंभ करने की अनुमति जारी कर दी है लेकिन इसमें एक समस्या आ रही थी कि यह काम जॉब कार्ड के आधार पर मजदूरों से उनके पंजीयन वाले पंचायत क्षेत्रों में ही कराया जा सकता है। लाक डाउन के चलते हजारों की संख्या में मजदूर मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों में जाने के कारण वहां फंस गए हैं। लाक डाउन के चलते इनकी वापसी इनके मूल जिलों और मूल ग्राम पंचायतों में नहीं हो पा रही है। इस कारण इन्हें मनरेगा का काम नहीं मिल पा रहा था।
मजदूरों का जॉब कार्ड जिस पंचायत क्षेत्र में बना हुआ है अन्य जिलों में फंसे मजदूरों को उस ग्राम पंचायत में वापस पहुंचाना जरूरी हो गया था। इसी के लिए मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव ने केंद्र सरकार को सुझाव देकर जॉब कार्ड वाले क्षेत्रों तक मजदूरों की वापसी सुनिश्चित करने का सुझाव दिया था, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया है।