हिसार। हरियाणा में हिसार-सिरसा रेल पटरी पर शहर की सत्य नगर कालोनी के निकट बने रेलवे फाटक के निकट कल देर शाम एक रेलवे इंजन की चपेट में आने से दो भाइयों समेत तीन बच्चों की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि अजित (8), उसका भाई गोलू (5) और रवि (12) फाटक के निकट खेलते-खेलते पटरी पार करने लगे और उसी समय सिरसा की तरफ से आ रहे एक रेलवे इंजन की चपेट में आ गये। परिजनों के अनुसार लॉकडाऊन के कारण ट्रेनों का आवागमन बंद होने के कारण बच्चों को यह आशंका बिल्कुल नहीं थी कि कोई ट्रेन आ सकती है। लॉकडाउन में ट्रेन आवागमन बंद होने के कारण बच्चे रेल पटरियों के आस-पास ही खेलते रहते थे। अजीत व गोलू के पिता मनोज तथा रवि के पिता सुनील मूल रूप से बिहार के मधेपुरा के निवासी हैं और हिसार की सत्य नगर कालोनी में रहते हैं तथा यहां मजदूरी करते हैं। राजकीय रेलवे पुलिस थाना के एचएचओ प्रदीप यादव ने बताया कि हादसे की जांच की जा रही है।
सुनील ने बताया कि दोनों के परिवार ने बिहार जाना था। वह उसके लिए बुकिंग करवा चुके थे। एक जिले के होने के कारण साथ बनता। लेकिन अभी उनको ट्रेन का समय नहीं पता चला था। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वह पैदल घर जाने की योजना बना चुके थे तो पार्षद ने उनको रोक लिया था। पार्षद ने कहा था कि पैदल नहीं जाना, उनके लिए व्यवस्था वह करवाएंगे। सुनील ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पहले तो काम बिल्कुल बंद हो गया था और अब काम मिलने लगा तब भी मजदूरी बहुत कम मिलती है। उन्होंने कहा कि सोचा था बच्चों को लेकर घर चले जाएंगे लेकिन इस हादसे ने सब कुछ छीन लिया। मनोज ने बताया कि गोलू और अजीत दोनों एलकेजी और यूकेजी में पढ़ते थे। वे लॉकडाउन में मजदूरी बंद होने की वजह से बिहार वापस लौटने की तैयारी में थे, लेकिन उससे पहले ही इस हादसे में उसके घर के चिराग बुझा दिए।
सत्यनगर कालोनी निवासियों ने बताया कि ट्रैक के दोनों ओर करीब एक साल पूर्व दीवार की बाउंड्री कराई गई थी। जो छह माह पहले ही बारिश के कारण गिर गई थी। आरोप है कि बार-बार मांग के बावजूद बाउंड्री को अधिकारी नहीं बनवा रहे हैं। यदि बाउंड्री बनी होती तो मासूमों की जान नहीं जाती। शहर के अंदर से रेलवे की लाइनें जा रही है, लेकिन हालात यह है कि इन लाइनों के पास से काफी जगह पर दीवार ही नहीं बनी हुई है। नियमानुसार कोई भी पशु व व्यक्ति लाइन की तरफ न जाए इसको लेकर दीवार बनाना अनिवार्य है। इसको लेकर पिछले दिनों नगर निगम की हाउस की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। नगर निगम में यह मुद्दा उठाने वाले पार्षद अनिल जैन टीनू ने बताया कि वह इस दीवार को 10 साल से बनवाने की मांग उठा रहे है। लेकिन रेलवे की तरफ से उनकी बात पर सुनवाई नहीं की गई। हाउस की तरफ से प्रस्ताव भी भेजा गया था।