भोपाल. लॉकडाउन में रेड ज़ोन भोपाल, इंदौर और उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में शराब की दुकानें नहीं खोली जाएंगी. संगम ट्रेडर्स लिकर एसोसिएशन ने इसका ऐलान किया है. एसोसिएशन का कहना है कोरोना संक्रमण में जनता और हमने अपने स्टाफ की सुरक्षा को देखते हुए यह फैसला किया है. हालांकि, मुद्दा लाइसेंस फीस का है. बुधवार को एसोसिएशन से सदस्यों ने प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से इस संबंध में मुलाकात की थी.
सरकार के आदेश के बावजूद लिकर एसोसिएशन ने शराब दुकानें न खोलने का फैसला लिया है. शराब व्यवसायी लाइसेंस फीस कम करने की अपनी मांग पर अड़े हैं. मामला फिलहाल हाईकोर्ट में है. शराब विक्रेताओं का कहना है हमें मांगों पर रिलीफ नहीं मिला है, सिर्फ मौखिक आश्वासन मिला है. इसलिए जब तक कोर्ट से कोई फैसला नहीं आ जाता, हम दुकानें नहीं खोलेंगे. उधर, प्रशासन इन दुकान संचालकों के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी है.
भोपाल जिला प्रशासन ने जिले की नगर निगम सीमा के बाहर के ग्रामीण क्षेत्र की करीब 15 देसी और विदेशी शराब दुकानें खोलने के निर्देश दिए थे. लेकिन, शराब कारोबारियों ने इस निर्देश को नहीं माना. इन इलाकों में सूखी सेवनिया, तारा सेवनिया, बिलखिरिया, झिरनिया, हर्राखेड़ा, रतुआ, गुनगा, ईंटखेड़ी, बैरसिया, हिरानखेड़ी, परसौरा, रुनाहा नजीराबाद और ललरिया की दुकानें शामिल हैं.
शराब व्यवसायी और सरकार के बीच लगातार पिछले कई दिन से बातचीत चल रही है. मगर व्यवसायी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. ये लोग लॉकडाउन के कारण जितने दिन दुकान बंद रहीं, उतने दिन की लाइसेंस फीस कम करने की मांग कर रहे हैं. व्यवसायी इस मामले पर हाईकोर्ट भी जा चुके हैं और इसकी अगली सुनवाई 27 मई को होना है.
आबकारी विभाग का कहना है कि जिन दुकानदारों ने कलेक्टर के आदेश के बाद भी दुकानें नहीं खोली हैं, हमने उनका पंचनामा बना लिया है और उन्हें धारा 8 के तहत नोटिस दिया है. 7 दिन बाद उन्हें बैंक गारंटी जमा करने का नोटिस दिया जाएगा और उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इस बीच भोपाल में शराब कारोबारियों ने एक प्रेस कॉंफ्रेंस की. जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी मांगों पर रिलीफ नहीं मिला है. सिर्फ मौखिक आश्वासन मिला है. उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. जिन नियमों के आधार पर ठेके लिए थे उनका पालन आज के बदले हुए हालात में संभव नहीं है. जहां दुकानें खुली हैं वहां बिक्री 30 से 35% बिक्री ही हो रही है. ऐसे में जितने दिन दुकानें बंद रहीं उतने दिन की लाइसेंस फीस कम की जाए.
कारोबारियों का दावा है कि भोपाल में शराब की 90 दुकानें हैं. इनकी हर दिन 3 करोड़ रुपए लाइसेंस फीस जमा करना होगी. लेकिन लॉकडाउन के कारण शराब की सेल घटकर ज्यादा से ज़्यादा 2 करोड़ प्रतिदिन की होगी. ऐसे हालात में वो इतनी ज़्यादा लाइसेंस फीस कहां से लाएं.