ग्वालियर। सिलेंडर का वॉल्व कटा था, रेग्युलेटर लगाते ही पिन टूट गई। तेज धमाका हुआ और मेरा परिवार मुझसे हमेशा के लिए दूर चला गया। मुझे नहीं पता था सिलेंडर का छोटा सा वॉल्व जीवन का इतना बड़ा दर्द दे जाएगा। घर के मुखिया और हादसे में बचे मृतक भारत के पिता भोलाराम ने कुछ इस तरह दी घटना होने की जानकारी।
बेटा, बहू व पोते को खोने का दर्द उनकी आवाज में साफ देखा जा सकता था, लेकिन उन्हें चिंता थी कि हादसे में बचे अपनी दो पोते और पोती की। मंगलवार दोपहर जब तीनों के शव कुशवाह मोहल्ला में पहुंचे तो माहौल गमगीन हो गया। एक दिन पहले तक जिन्हें हंसला खेलता देखा था उनके शव अर्थी पर रखे थे।
ऐसा पता लगा कि काफी समय से गैस का पाइप नहीं बदला गया था, जिस कारण उसकी रबड़ गलने लगी थी। ऐसे में कटे वॉल्व का सिलेंडर तीनों की जान ले गया। क्षेत्र में ऐसी भी चर्चा थी कि सुबह भी बसंती ने सिलेंडर बदलने का प्रयास किया था। पर उस समय ऐसा कुछ नहीं हुआ। पर जब रात को उसने खाना बनाते समय जल्दबाजी में सिलेंडर बदला तो पिन टूटने से हादसा भयानक हो गया।
मंगलवार दोपहर 12 बजे भारत, बसंती व अर्जुन के शवों को लेकर उनके परिजन घर पहुंचे। पहले से तैयारी थी इसलिए शवों को अर्थी पर रखकर श्मशान घाट ले जाने लगे। तभी वहां मौजूद पुलिस अफसरों ने आकर बताया कि राहत राशि का चेक लेकर प्रदेश सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व एडीएम संदीप केरकेटा आ रहे हैं। इसके बाद उनके इंतजार में शवों को सड़क पर ही रख दिया गया। 10 मिनट में आने का दावा करने वाले पुलिस अफसर बार-बार आकर बताते कि 10 मिनट और लग रहे हैं। ऐसे बार-बार समय बढ़ाते-बढ़ाते करीब एक घंटा हो गया।
मां-पिता और भाई का शव सामने देख मृतक की बेटी दीपा व बेटे करन की तबीयत बिगड़ गई। बेहोश भी हुए उनको पानी पिलाकर होश में लाया गया। इसके बाद वहां तनाव फैल गया। आक्रोश बढ़ा तो तत्काल अफसरों से संपर्क किया गया, जिसके बाद 1.20 बजे मंत्री श्री तोमर व एडीएम वहां पहुंचे। तत्काल तीनों मृतकों के लिए परिवार को 4-4 लाख की आर्थिक सहायता की कार्रवाई की।
देरी से आने पर लोग काफी गुस्सा थे, लेकिन मंत्री प्रद्युम्न तोमर ने पहुंचकर तत्काल अर्थी को उठाकर कंधे पर रख लिया। साथ ही मृतक के पिता से कहा कि आपका बेटा हूं हमेशा साथ दूंगा। इसके बाद सारा गुस्सा हवा हो गया। काफी दूर तक मंत्री अर्थी को कंधा देकर चलते रहे।