ग्वालियर मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिण्ड जिले में हथियार रखना लोग अपनी शान समझते हैं यही कारण है कि भिण्ड जिले में 23 हजार 470 लोगों के नाम शस्त्र लायसेंस है। एक दशक से शस़्त्र लायसेंसों पर रोक लगी होने के कारण नवीन लायसेंस नहीं बनाए गए है। अगर लायसेंस बनने पर रोक नहीं होती तो आज शस्त्र लायसेंसों की संख्या 50 हजार से अधिक होती। यहां के लोग हथियारों के इतने अधिक शौकीन है कि अपनी जमीन बेचकर हथियार खरीदते है। घर परिवार में हथियार होने से उनका समाज में रुतबा बढ जाता है और समाज में उन्हें सम्मान की दृष्टि से भी देखते है।
भिण्ड जिले की आबादी 18 लाख है तथा शस्त्र लायसेंसों की संख्या 23 हजार 470 है। यानी हर 76वां व्यक्ति अपने पास बंदूक रखता हैं। हथियार रखने के लिए यहां का आम आदमी तो शौकीन है ही, महिलाएं भी शस्त्र रखने में पीछे नहीं है। जिन लोगों को किसी कारणवश शस्त्र लायसेंस नहीं मिल पाए है वो अबैध हथियार रखकर अपना शौक पूरा कर रहे है।
भिण्ड जिले की सीमा उत्तरप्रदेश के आगरा, इटावा, जालौन जिले से लगी हुई है। चंबल के बीहड डकैतों के शरणदाता रहे हैं 1950 के दशक से लेकर 2011 तक डकैत मानसिंह, पुतलीबाई, पानसिंह, फिरंगी सिंह, रुपासिंह, लाखनसिंह, फूलनदेवी, कुसुमा नाइन, फक्कड सिंह, गब्बर सिंह, मेहरवान सिंह, मोहर सिंह, माधौसिंह, रज्जन सिंह, निर्भय गुर्जर, जगजीवन परिहार, पंचम सिंह, अरविन्द गुर्जर, राजनारायण पंडित, मलखान सिंह, लोकमान दीक्षित, सलीम गुर्जर, सीमा परिहार, इन डकैतों के आतंक के चलते लोग अपनी सुरक्षा के लिए शस्त्र लायसेंस लेकर हथियार रखते थे। अब चंबल में डकैतों का सफाया पुलिस ने कर दिया तथा बडे-बडे दस्यु सरगनाओं ने आत्म समर्पण कर दिया। लेकिन बंदूक रखने का क्रेज लोगों में अभी भी बरकरार है।
जो लोग शस्त्र लायसेंस नहीं बनवा पाए तो उन्होंने अबैध हथियार ही अपने पास लेकर रख लिए है। यही कारण है कि भिण्ड जिले में बैध हथियारों की संख्या 23 हजार 470 है तो अबैध हथियारों की संख्या एक लाख से भी अधिक है। इसकी सत्यता इस बात से पता चलती है कि पुलिस जब चैकिंग अभियान चलाती है तो पुलिस को किसी की जेब में पेंसिल नहीं मिलेगी, लेकिन उसके पास अबैध हथियार मिल जाएगा। यहां के अपराधी भी भले ही उनके पास लायसेंसी शस्त्र हो बारदात में वह अबैध हथियार का ही इस्तेमाल करता है।
सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक भिण्ड जिले के मेहगांव निवासी श्यामस्वरुप शुक्ला का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में भिण्ड जिला काफी पिछडा हुआ रहा है। यहां के लोग अपराध करने के बाद सोचते है। अगर पहले सोचना शुरु कर दे ंतो अपराध ही न हो। पहले लोग डकैतों के आतंक के चलते हथियार रखते थे अब जब डकैत समस्या खत्म हो गई तो अब रुतबे के लिए हथियार रखना पसंद करते है।
जयप्रकाश नारायण के समक्ष आत्म समर्पण करने वाले दस्यु सरदार लोकमान दीक्षित उर्फ लुक्का जो अपने जीवन के 80 दशक पूरे कर चुके हैं ने बताया कि कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से घर परिवार छोडकर चंबल का रास्ता नहीं पकडता। जब किसी को सार्वजनिक रुप से प्रताडित किया जाता है और उसे न्याय नहीं मिलता तो वह बंदूक उठाकर बीहड का रास्ता पकड लेता है।
भिण्ड जिला अबैध हथियारों की खपत की दृष्टि से बहुत बडी मण्डी है। यहां अबैध हथियार उत्तरप्रदेश के मैनपुरी, एटा, इटावा, जालौन व बिहार से आते हैं। पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनाव में अबैध हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है। लोग परीक्षाओं में भी हथियारों का उपयोग करते है।
पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने बताया कि भिण्ड जिले में जो लोग अबैध हथियार रखते है उनके खिलाफ पुलिस बराबर अभियान चलाकर उनको पकडती हैं। और इस अभियान को और तेज किया जा रहा है। अन्य प्रान्तों से आने वाले हथियारों पर पूरी तरह से रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा हैं। उत्तरप्रदेश से लगने वाली सीमा पर चैकिंग कराई जा रही है।