नई दिल्ली । ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का कहना है कि 2022 तक दुनिया को रुक-रुककर लॉकडाउन की जरूरत है। इसके तहत 30 दिन काम करने के बाद 50 दिन लॉकडाउन में रहने का नियम बनाना पड़ेगा। इस वैकल्पिक 80 दिनों के चक्र से ही कोविड-19 से संबंधित मौतों को कम करने और आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। एक हालिया शोध में यह खुलासा हुआ है। एक महीने से लंबे समय तक सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढील देने से लोग लंबे समय तक इसका गंभीरता से पालन करेंगे और इसका दोगुने लंबे वक्त तक अनुपालन किया जा सकेगा। यह रणनीति 16 देशों के डाटा का उपयोग करते हुए गणितीय सूत्रों पर बनाई गई है।
बच सकेंगी नौकरियां: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर राजीव चौधरी ने कहा, हालांकि हमने ब्रिटेन में स्थिति का मॉडल नहीं बनाया है, लेकिन उम्मीद करते हैं कि यह अन्य उच्च आय वाले देशों की तरह ही होगा। यूरोपियन जर्नल ऑफ इपियोडेमोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार, इस वैकल्पिक लॉकडाउन की रणनीति का पालन करने से नौकरियां बचाई जा सकेंगी। इससे वित्तीय असुरक्षा और सामाजिक व्यवधान को कम किया जा सकेगा। इसके अलावा टेस्ट करने, करीबी संपर्कों को खोजने और आइसोलेट करने की सफल रणनीति का भी लगातार इस्तेमाल करना होगा।
प्रमुख शोधकर्ता की अंतरराष्ट्रीय टीम का मानना है कि यह रणनीति मौजूदा तरीकों की तुलना में दीर्घकालिक और अधिक टिकाऊ है जो वायरस के व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण को कम करता है। इनमें सोशल डिस्टेंसिंग, संदिग्ध संक्रमित व्यक्तियों को पृथक करना, स्कूल बंद करना और लॉकडाउन शामिल हैं।
तीन परिदृश्य सुझाए गए: डायनैमिक इंटरवेंशन स्ट्रैटेजी बनाने वाले समूह ने बेल्जियम से लेकर भारत तक के लिए तीन परिदृश्यों का सुझाव दिया है। इसे आय, स्वास्थ्य सुविधाओं और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर बनाया गया है। पहले परिदृश्य में अगर 50 दिनों के कड़े लॉकडाउन के बाद 30 दिनों की छूट दी जाती है तो इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या घटेगी। ऐसे परिदृश्य में सारे देशों में महामारी 18 महीनों तक रहेगी। दूसरे परिदृश्य में अगर कोई भी कदम नहीं उठाए जाते तो 78 लाख लोगों की मौत हो सकती है और महामारी 200दिनों तक चलेगी। तीसरे परिदृश्य में अगर 50 दिनों की राहत वाला लॉकडाउन और 30 दिनों की छूट दी जाती है तो आईसीयू का संकट पैदा होगा,जिसमें 35 लाख लोगों की मौत होगी।
आर्थिक और मानसिक समस्याओं से भी दिलाएगा मुक्ति:
विशेषज्ञों का मानना है कि वैकल्पिक लॉकडाउन की इस रणनीति का उपयोग करने से न सिर्फ मौतें कम होंगी बल्कि आर्थिक परेशानियां और मानसिक संकट भी काफी हद तक दूर होगा। दुनिया के हर देश में कोरोनावायरस के मामले देखने को मिल चुके हैं। दुनियाभर में 46 लाख लोग इससे संक्रमित है और 3,20,000 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक न तो इसका कोई इलाज है और इसके वैक्सीन को बनने में भी एक साल का समय लगेगा।