रावतपुराधाम । राष्ट्रीय संत और भारत के मानस मर्मज्ञ मुरारीबापू ने पूज्य व्यासपीठ से अपनी रामकथा के सातवें दिन की शुरूआत हनुमान चालीसा से की। इससे पहले पूज्य मुरारी बापू ने पूज्य व्यासपीठ की परिक्रमा कर पूज्य व्यास पीठ पर स्थान ग्रहण किया। आज संत मुरारी बापू अनन्त विभूषित पूज्य महाराज श्री रविशंकर जी (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर के साथ पूज्य व्यासपीठ पर पहुंचे। इस अवसर पर वेद शिक्षा ग्रहण कर रहे शिक्षार्थियों ने शंख, घण्टे, घडियाल बजाकर पूज्य बापू का स्वागत किया। रामकथा की शुरूआत वेदपाठ और नो भद्राः क्रतवो के साथ हुई। अनन्त विभूषित पूज्य महाराज श्री रविशंकर जी (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर ने रामकथा को आम भक्तों के बीच बैठकर सुना संतश्री मुरारी बापू ने रामकथा की शुरूआत सियाराम, सियाराम, सियाराम, सिय, सिय श्रीराम के साथ की। इसके बाद उन्होंने हनुमान चालीसा का संगीतमय पाठ किया। उन्होंने कहा कि इस पावन रावतपुराधाम में रावतपुरा हनुमान जी जो कि पिछले पाॅच सौं वर्षों से यहां विराजित हैं, के चरणों में प्रणाम करते हुए पवन तनय हनुमान के साथ इस स्थान के रविशंकर जी रावतपुरा सरकार के चरणों में प्रणाम करता हूं। यहां उपस्थित सभी पूज्य संत विद्वानगण और भक्तगणों को व्यासपीठ से आज शीत लहर सहन करने के लिए मेरा प्रणाम जय श्रीराम। इस अवसर पर पूज्य पोथी पर पुष्प एच.एल.प्रजापति, गरिमा अग्रवाल, दिनेश चैरसिया, व्रजेष श्रीवास्तव, शिषिर श्रीवास्तव, ब्रजेश पटेल, वंशीधर अग्रवाल, अभिषेक सिंह ने अर्पित किए। संतश्री मुरारी बापू ने कहा कि आज हम पवित्र रामकथा के सातवें चरण की ओर बढ रहे हैं मानस पवन तनय गुरूकृपा एवं गुरूग्रंथ की कृपा से सात्विक एवं तात्विक चर्चा कर रहे हैं। इस कथा का 170 देषों में सजीव प्रसारण हो रहा है इस अवसर पर उन्होंने एक मंत्र का तेजो तेजो धृति यषो द्वितीय यषो दक्षम का जाप सामुहिक रूप से सभी भक्तगणों से करवाया।
रावतपुरा धाम आश्रम तो अद्भुत है गुरूदेव
संतश्री मुरारी बापू ने कहा यहां हम रामकथा कह रहे हैं यह एक पवित्र आश्रम है। आश्रम में मंत्र उच्चारण अच्छा लगता है आश्रम में ऐसा ही होना चाहिए आश्रम की उन्होंने व्याख्या करते हुए कहा कि जहां आराम मिले वह आश्रम, जहां आहार मिले वहां आश्रम, जहां आनन्द मिले वहां आश्रम, जहां अवतार मिले वहां आश्रम, जहां आतिथ्य मिले वहां आश्रम इस रावतपुरा धाम आश्रम में तो हर समय वेद पाठ चलता रहता है रामायण चलती रहती है जगह जगह पूजा होती रहती है। गुरूदेव यह आश्रम तो आपने अद्भुत बनाया है।
यश हो तो हनुमान जैसा
सतंश्री मुरारी बापू ने इस अवसर पर हनुमान चालीसा की यह पक्तियां चारों जुग प्रताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा सुनाते हुए कहा कि हनुमान जी के जैसा ब्रम्ह्मचर किसके पास है हनुमान जी जैसा संयम किसी के पास नहीं है हनुमान जी की तरह तपस्वी कोई नहीं है उन्होंने कहा कि दो ही महापुरूष जन्म से हनुमान अपने कौपीन एवं महाबली कर्ण कवच और कुण्डल के साथ पैदा हुए। हनुमान जी तेज प्रधान का तत्व हैं। वहां निरन्तर राम नाम महामंत्र का जप करते रहते हैं निरन्तर ब्रम्ह्म में रहते हैं। यह हनुमान का स्थायी रूप है। जब लंका में उनकी पूंछ जलायी गई उन्होंने अपना संयम नहीं तोडा उन्होंने जहां राम की भी आज्ञा मानी वहीं रावण की भी आज्ञा मानी किसी का यश दस साल रहता है किसी का सौ साल किसी का पांच सौं लेकिन हनुमान जी का यश चारों काल में रहा है हनुमान जी दक्षता से भरपूर हैं हनुमान जी में सामथ्र्य भी बहुत है। महाबली रावण भी हनुमान के सामथ्र्य की सराहना करता है हनुमान जी का पौरूष अतुलनीय है। महावीर विक्रम बजरंगी पुमति निवार सुमति के संगीत का पाठ करते हुए संतश्री मुरारी बापू ने कहा हनुमान जी में असंख्य लक्षण हैं। इस कथा का केन्द्र पवन तनय हनुमान जी गुणगाान करने से वास्तव में इस शीत लहर में इस रामकथा पण्डाल में गर्मी आ गई। यह सब गुरूकृपा और गं्रथ कृपा से हुआ है। पवन तनय के लक्षण है गुण विषेषता यह मनुष्य में बदलते रहते है और नहीं बदले तो हम देव हो जायेंगे महात्माओं को शांत रहना चाहिए। वेद वेदान्त की चर्चा के समय 56 भोग में अगर तुलसी न डाली जाए तो भगवान भूखे रहते हैं।
राम नाम लेने से पूरे विष्व को आनन्द की प्राप्ति होगी
संतश्री मुरारी बापू ने रामकथा के दौरान रामजन्म के बारे में विस्तार से आगे बताते हुए कहा कि अयोध्या में भगवान का प्रागट्य हुआ अयोध्या में कौषल्या, कैकयी, सुमित्रा को यज्ञप्रसाद मिला। भगवान षिव चोरी छिपे इस घटना को देखने के लिए रूप बदलकर अयोध्या आए थे। दिन बीतते रहे वषिष्ट जी नामकरण कराने आते है वषिष्ट जी कहते हैं भगवान राम सुख की राषि है राम नाम लेने से पूरे विष्व को आनन्द की प्राप्ति होगी इसलिए इसका नाम मैं राम रखता हूं। भरत के बारे में गुरू वषिष्ट कहते हैं यह पूरे विष्व का पोषण करेगा। वषिष्ट ने सबसे छोटे पुत्र का नाम शत्रुघन रखा जिसका स्मरण करने से शत्रु की बुद्धि का नाष होता है यह भारतीय विचार है कि शत्रु की बुद्धि ही खत्म हो जाएग। लक्ष्मण के बारे में गुरू वषिष्ट ने सबसे अंतिम उनका नाम लक्ष्मण रखा वषिष्ट कहते हैं ये शेषनाग का अवतार हैं। संतश्री मुरारी बापू ने उपस्थित भक्तगणों से आग्रह करते हुए कहा कि आप अपने बच्चे बच्चियों का नाम भारतीयता पर रखें। जिससे दूसरे लोग सुनकर यह जान जाए कि यह भारतीय है नाम रखने से पूर्व अपने पूर्व परम्परा का भी ध्यान रखें। संतश्री मुरारी बापू ने कहा कि राम महामंत्र है इस मंत्र का आप जाप करते हैं तो निष्चित रूप से आप और आपके परिवार का भला होगा मैं आपको सलाह देता हूं कि आप किसी का शोषण नहीं करें बल्कि उसका पोषण करें दुष्मनी भाव किसी के प्रति न रखें रामनाम जपने वाले का मुख्य उद्देष्य यही होना चाहिए। फिर उन्होंने बताया नित्य लीला के माध्यम से भगवान श्रीराम गुरू वषिष्ट के आश्रम में षिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। गुरू विष्वामित्र, गुरू वषिष्ट के आश्रम में आए और गुरू वषिष्ट से कहा कि राम लक्ष्मण को मेरे यज्ञ को पूरा करने के लिए मुझे सौंप दें। यहां से राम का अवतार काल शुरू हुआ है रास्ते में भगवान श्रीराम ने राक्षसी ताड़का का निर्वाण किया। विष्वामित्र समझ गए कि यह ब्रम्ह्म हैं यज्ञ पूरा हुआ। इस अवसर पर उन्होंने अहिल्या की कथा भी विस्तार से बताई भूल हो जाने के बाद उसे दोहराना नहीं चाहिए अगर आप भगवान की शरण में जायेंगे तो आपको अयोध्या नहीं जाना पडेगा बल्कि अयोध्या के श्रीराम नंगे पैर चलकर आपका उद्धार करेंगे जिस तरह उन्होंने अहिल्या का उद्धार किया। इस अवसर पर उन्हांेने गंगा अवतरण की भी कहानी सुनाई। फिर भगवान श्रीराम विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी पहुंचते हैं।
बच्चे बच्चियों का नाम भारतीयता पर रखें
इस अवसर पर उन्होंने एक कहानी सुनाते हुए कहा कि दो आदमी बात कर रहे थे एक आदमी ने पूछा तेरे कितने बेटे हैं तो दूसरा आदमी बोला चार बेटे हैं दो बेटे तिहाड में हैं और दो फरारी काट रहे हैं ऐसे पुत्रों का क्या करना ? आप अपने पुत्रों का नाम भारतीय पद्धति के अनुसार रखें।
गुरूदेव रविशंकर जी आपका आश्रम छोडकर जाने का मन नहीं कर रहा
संतश्री मुरारी बापू ने कहा कि भिक्षा की एक अलग इतिहास परम्परा रही है। रात को हमारी माॅ एक रोटी बचाकर रख देती थी सुबह उसके टुकडे तोडकर हम भाईयों को दे देती थी यही हमारा नाष्ता था यही पतंजलि के बिस्कुट और पारले के बिस्कुट होते थे यही परम्परा हमारा जीवन है रोटी का व्यापारीकरण नहीं होना चाहिए। गुरूदेव रावतपुरा जी आपके क्षेत्र में क्या अतिथ्य मिल रहा है ? अब रविवार को जाने को भी मेरा मन नहीं कर रहा इस अवसर पर उन्होंने पुराने फिल्मी संगीत एक पल है हॅसना, एक पल है रोना, कैसा है जीवन का ठेला की प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा इस रामकथा को आप लोग ओझल मत होने देना साधु पर व्याख्या करते हुए कहा कि साधु हमेषा जलता रहता है, जागता रहता है, हॅसता रहता है उसके लिए मेवा मिश्री सूखी रोटी सब एक समान होती है। साधु सदैव हॅसता रहता है राम अवतार में भगवान श्रीराम सदैव हॅसते रहे।
वैश्विक त्यौहार है घरवाली
संतश्री मुरारी बापू ने भक्तगणों से आज एक सवाल पूछा कि ऐसा कौन सा त्यौहार है जो रोज मनाना पडता है सब त्यौहार वर्ष में एक बार आते है नवरात्रि नौ दिनों की होती है, श्रावण मास महीने भर का होता है, यह है पत्नी का त्यौहार जिसको हर दिन मनाना पड़ता है। यह वैष्विक त्यौहार है घरवाली।
सतयुग के चार लक्षण
संत मुरारी बापू ने सतयुग के चार लक्षण बताते हुए कहा कि शुद्ध स्वत्व गुण इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि दूध अगर गाय का है तो उसमें एक बूंद खटाई पड जाए तो वह दूध को अषुद्ध कर देती है दूध में बिल्कुल शुद्धता नहीं बचेगी। समता किसी से भेदभाव नहीं करें सबको स्नेह दें लेकिन निरन्तर समता बनाए रखना काफी कठिन कार्य है। विज्ञान समता विज्ञान का लक्ष्य है विज्ञान कभी समता नहीं छोडता। निरन्तर प्रसन्न रहो यदि रोज प्रसन्न रहेंगे तो ऐसा लगेगा कि आप सतयुग में जी रहे हो आज रामकथा के दौरान दंदरौआ धाम के रामदासजी महाराज, रायपुर के संतश्री बालकदास योगी, अयोध्या के महंत वैदेही बल्लभषरण जी महाराज, कांग्रेस के महासचिव श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उत्तरप्रदेष के मंत्री एवं मध्यप्रदेष भाजपा के प्रभारी श्री स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत, मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, पूर्व मंत्री एवं विधायक डाॅ. नरोत्तम मिश्रा, संगठन मंत्री शैलेन्द्र बरूआ, केषव सिंह भदौरिया भी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। रामकथा के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत एवं प्रद्युमन सिंह तोमर ने गोविन्दा निलियम् में पहुंचकर महाराज श्री रविशंकर जी (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर से आशीर्वाद लिया।
आज मुख्यमंत्री कमलनाथ रामकथा में शामिल होंगे
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 28 दिसम्बर शनिवार को रावतपुरा धाम में संतश्री मुरारी बापू की रामकथा में शामिल होंगे। यह जानकारी लोक कल्याण ट्रस्ट रावतपुरा सरकार द्वारा दी गई।

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