भोपाल ! मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित वनरक्षक भर्ती परीक्षा में विशेष कार्यदल (एसटीएफ) ने राज्यपाल रामरनेरश यादव सहित 101 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। वहीं मंगलवार को पूरे दिन व्यापमं घोटाले पर कांग्रेस का विधानसभा से सड़क तक पर प्रदर्शनों का दौर जारी रहा, वहीं सत्तापक्ष ने कांग्रेस पर संविधान का गला घोंटने और सनसनी फैलाने का आरोप लगाया। एसटीएफ के अतिरिक्त महानिरीक्षक आशीष खरे ने मीडिया को बताया कि वनरक्षक भर्ती के मामले में 101 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। इसमें 88 परीक्षार्थी और 13 मध्यस्थ व अन्य लोग शामिल हैं। इनके खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
खरे ने कहा कि यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, लिहाजा वे यह नहीं बता सकते कि इस प्राथमिकी में किसका नाम है। उन्होंने राज्यपाल का नाम भी नहीं लिया। मगर इससे पहले दोपहर में खरे से मीडिया ने जब पूछा था कि क्या राज्यपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है तो उनका कहना था कि प्रक्रिया जारी है।
सूत्रों के अनुसार, व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षा में राजभवन से दो युवकों महेश व सतीश की वनरक्षक पद पर भर्ती के लिए एक सिफारिशी पत्र लिखा गया था। ये दोनों युवक उत्तर प्रदेश के निवासी बताए जाते हैं। इस मामले में एसटीएफ ने मंगलवार की देर शाम राज्यपाल यादव के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। एसटीएफ ने कुल 101 लोगांे पर भी प्रकरण दर्ज किया है। इसमें 88 परीक्षार्थी व 11 अन्य लोग शामिल हैं।
एसटीएफ ने राज्यपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है। उनके बेटे शैलेश यादव के खिलाफ पहले ही प्रकरण दर्ज किया जा चुका है।
इससे पहले, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एसटीएफ) आशीष खरे ने एसआईटी प्रमुख चंद्रेश भूषण से मुलाकात की थी। तब मीडिया को बताया था कि प्राथमिकी दर्ज किए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
व्यापमं मामले में कांग्रेस की ओर से पूर्व मंे एक परीक्षा की एक्सेलशीट सौंपे जाने के बाद मंगलवार को कुछ और दस्तावेज विशेष जांच दल (एसआईटी) को बंद लिफाफे में सौंपे गए।
एसआईटी प्रमुख चंद्रेश भूषण ने मंगलवार को संवाददाताओं से अनौपचारिक चर्चा के दौरान माना कि उन्हें कांग्रेस की ओर से एक बंद लिफाफा दिया गया है। इस लिफाफे में पेन ड्राइव और कुछ दस्तावेज हैं। उन्होंने अभी लिफाफा खोलकर नहीं देखा है, लिहाजा उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उसमें क्या-क्या दस्तावेज हैं।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह की ओर से भेजे गए दस्तावेजों में कॉल डिटेल और कई एसएमएस से संबंधित जानकारी है। इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद व्यापमं मामले में नई कड़ी जुड़ सकती है जो मामले को और गरमा देगी।
दिग्विजय सिंह ने पिछले दिनों एसआईटी को एक शपथपत्र के साथ एक्सेलशीट भी सौंपी थी। सिंह का आरोप है कि एसटीएफ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बचाने के लिए एक्सेलशीट से छेड़छाड़ की है। एसआईटी प्रमुख ने बताया कि सिंह के आरोपों की जांच कराई जा रही है।
वहीं, विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का अंत करने मुख्यमंत्री चौहान जब अपनी बात रखने को खड़े हुए तो कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि व्यापमं मामले में राज्यपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है या नहीं।
मुख्यमंत्री की ओर से जवाब न मिलने पर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा जारी रखा और मुख्यमंत्री अपनी बात नहीं रख पाए। बाद में विधानसभाध्यक्ष ने कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज का दिन संसदीय इतिहास का काला दिन है, जब विपक्ष ने सदन के नेता को अपनी बात नहीं कहने दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मकसद सिर्फ आरोप लगाकर भागना रहा है, व्यापमं का मामला अदालत में है, लिहाजा उस पर चर्चा नहीं हो सकती।
उन्होंने आगे कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी के पर्यवेक्षण में एसटीएफ मामले की जांच कर रहा है। कांग्रेस के नेताओं का मकसद सिर्फ हंगामा करना है। पिछली बार भी उन्होंने आरोप लगाए थे जो सच साबित नहीं हुए। वे हर बार एक नया कागज ले आते हैं और आरोप लगा देते हैं।
चौहान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आरोपों पर उन्होंने स्वयं एसआईटी को पत्र खिलकर आरोपों की जांच की मांग की। सिंह ने पिछले दिनों एक शपथ पत्र के साथ एसआईटी को एक एक्सेलशीट सौपी थी, जिसमें कथित तौर पर मुख्यमंत्री का नाम है।
कांग्रेस ने सदन के अलावा सड़क पर प्रदर्शन कर राज्यपाल का इस्तीफा मांगा है।