ग्वालियर । मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने संभाग के सभी राजस्व अधिकारियों से कहा कि संभागीय बैठके आयोजित करने का मुख्य मकसद राजस्व विभाग की सभी सेवायें पूरी गुणवत्ता के साथ आम आदमी को प्रदाय कर जवाबदेही सुनिश्चित कर राजस्व अधिकारियों के कार्यों में सुधार लाकर राजस्व कार्यों के निराकरण में त्वरित गति लाना है। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह मंगलवार को शिवपुरी पी.एस.रेसीडेंसी में ग्वालियर संभाग के संभाग स्तरीय राजस्व अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व अरूण पाण्डे, पर्यटन सचिव हरीरंजन राव, प्रमुख राजस्व आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव, आयुक्त भू-अभिलेख एम.के. अग्रवाल, ग्वालियर संभागायुक्त एस.एन. रूपला, अपर आयुक्त डी.डी. अग्रवाल, शिवपुरी कलेक्टर तरूण राठी, ग्वालियर कलेक्टर राहुल जैन, दतिया कलेक्टर मदन कुमार, गुना कलेक्टर राजेश जैन और अशोकनगर कलेक्टर बी.एस. जामौद सहित ग्वालियर संभाग के अपर कलेक्टर, अनुविभागीय दण्डाधिकारी, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार उपस्थित थे।
मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने जिलेवार राजस्व प्रकरणों की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रशासनिक तंत्र में राजस्व अधिकारी का एक महत्वपूर्ण पद है। राजस्व अधिकारी पद की गरिमा के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ निर्वहन करें। सरकारी भूमि हस्तांतरण के मामले में पूरी सावधानी एवं सर्तकता भी बरतें। उन्होंने राजस्व प्रकरणों के निराकरण को गंभीरता से न लेने पर अनुविभागीय अधिकारी शिवपुरी, करैरा, भितरवार और तहसीलदार शिवपुरी, नायब तहसीलदार भाण्डेर, गुना को कारण बताओ नोटिस देने के निर्देश संभागायुक्त को दिए।
मुख्य सचिव ने संभाग के सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सुनिश्चित करें कि डायवर्सन के प्रकरणों में डायवर्सन की राशि जमा होने के बाद ही आदेश जारी करें, इन प्रकरणों में प्रोएक्टिव होकर कार्यवाही करें। ऐसा न करने पर संबंधित राजस्व अधिकारी कार्यवाही के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि संभाग के विभिन्न जिलों के अपर कलेक्टरों द्वारा एक दूसरे जिलों के न्यायालयों का निरीक्षण करने का मुख्य उद्देश्य राजस्व तंत्र में सुधार लाना है, न की किसी अधिकारी की कमी निकालना है। उन्होंने अपर कलेक्टर शिवपुरी द्वारा तहसीलदार शिवपुरी के न्यायालय के किए गए निरीक्षण में पाई गई कमियों को इंगित करते हुए कहा कि इन कमियों को समय रहते संबंधित तहसीलदार द्वारा दूर न किया जाना आपत्तिजनक है।
मुख्य सचिव ने संभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि पटवारी बस्तों का निरीक्षण करें और ऐसे पटवारी जिनके द्वारा अपने कार्य में रूचि नहीं ली जा रही है एवं लापरवाही बरत रहे है। उन पटवारियों के विरूद्ध अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि संभाग में बड़ी संख्या में आरसीएमएस राजस्व प्रकरण दर्ज हुए है। लेकिन इसके बावजूद भी पुराने प्रकरण दर्ज न होने की स्थिति में संबंधित राजस्व अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। सीमांकन के प्रकरणों का भी दर्ज न करना गंभीर मामला है। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि उनके द्वारा जो भी आदेश पारित किए जाए। उनका अमल कराना भी राजस्व अधिकारी की जवाबदारी है। उन्होंने प्रत्येक राजस्व अधिकारी से चर्चा कर जानकारी भी ली।
प्रमुख सचिव राजस्व अरूण पाण्डे ने सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि पीठासीन अधिकारी के रूप में वे अपने न्यायालयों का बारीकी के साथ निरीक्षण करें। उन्होने निर्देश दिए कि पटवारी हल्कों के निरीक्षण हेतु अभियान संचालित किया जाए। अभियान दौरान पटवारी बस्तों का आकस्मिक निरीक्षण भी हो। उन्होंने संबंधित जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए कि जो जिले सूखाग्रस्त घोषित किए गए है, वे त्वरित अपनी जानकारी भेंजे। पर्यटन सचिव हरीरंजन राव ने मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत और जोड़ी गई सेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आवेदकों को समय-सीमा में सेवाए उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कलेक्टरों को आधुनिक (मॉर्डन) रिकॉर्ड रूम का निरीक्षण करने के भी निर्देश दिए।
आयुक्त भू-अभिलेख एम.के. अग्रवाल ने कहा कि ऐसे राजस्व अधिकारी जो नामांतरण पंजी जमा नहीं कर रहे है, उनके विरूद्ध निलंबन की कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने संभाग के सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए कि मुख्य सचिव महोदय द्वारा पूर्व में आयोजित बैठक में दिए गए दिशा-निर्देशों की प्रोसिडिंग की प्रति फील्ड स्तर के राजस्व अधिकारी को भेजना सुनिश्चित करें। बैठक को प्रमुख राजस्व आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया।
संभागायुक्त एस.एन. रूपला ने संभाग स्तरीय बैठक में पावर पोइंट प्रिजेन्टेशन के माध्यम से संभाग में किए गए राजस्व न्यायालयों के निरीक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि ग्वालियर संभाग के सभी 5 हजार 53 ग्रामों में बी-1 का प्रभावी रूप से वाचन कराया गया। संभाग में 77 हजार 401 कुल नामांतरण के प्रकरण प्राप्त हुए। जिसमें से 76 हजार 236 प्रकरणों का निराकरण किया गया। आरसीएमएस में 01 जुलाई से 20 जुलाई 2017 तक 42 हजार 219 दर्ज प्रकरणों का निराकरण किया गया। जिसमें 42 हजार 218 ऐसे प्रकरण थे, जिनका निराकरण गुण-दोष के आधार पर किया गया। संभाग में 7 हजार 429 अविवादित बंटवारा और 2 हजार 174 सीमांकन के प्रकरणां का निराकरण किया गया। संभाग में वर्ष 2010-11 में 3 हजार 990, वर्ष 2011-12 में 4 हजार 87, वर्ष 2012-13 में 4 हजार 51 और 2013-14 में 3 हजार 991, वर्ष 2014-15 में 3 हजार 980 और वर्ष 2015-16 में 3 हजार 789 नामांतरण पंजियां कराई गई।