ग्वालियर। राजस्थान सरकार के अधिकारी मध्यप्रदेश की चंबल नहर को समझौते के अनुसार 3900 क्यूसेक सिंचाई के पानी की सप्लाई नहीं कर रहे हैं। सिंचाई का पानी नहीं मिलने से चंबल संभाग के भिण्ड और मुरैना जिले में करीबन डेढ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई नहीं हो पा रही है। अधीक्षण यंत्री के संदेश के बाद मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने कल राजस्थान के कोटा में बातचीत की थी तब कोटा बैराज से पानी की सप्लाई 150 क्यूसेक बढी है। इसके बाद भी निर्धारित मात्रा में पानी नहीं मिला है। इस कारण डेढ लाख से ज्यादा किसान गेंहूं की खेती नहीं कर पाएंगे।
जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री आरपी ओझा ने आज यहां बताया कि राजस्थान के कोटा बैराज से पानी कम छोडा जा रहा है। 2300 से 2400 क्यूसेक पानी की मात्रा मिलने के कारण भिण्ड, मुरैना जिले की सभी नहरों में सिंचाई व पलेवा के लिए पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसका असर मुरैना के अंबाह, पोरसा और भिण्ड जिले के अटेर, गोहद और भिण्ड इलाके की डेढ लाख हेक्टेयर जमीन में गेंहू के लिए पलेवा का काम शुरु नहीं हो सका है। जहां सरसों 30 दिन की अवधि पूरी कर चुकी है, वहां भी पहली सिंचाई के लिए नहर से पानी मिलने की संभावनाएं क्षीण हो गई है।
मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव पंकज अग्रवाल ने कल राजस्थान के कोटा बैराज के अधिकारियों से बातचीत की तो देर शाम को पानी की मात्रा 150 क्यूसेक बढाई गई है। फिर भी समझौते के अनुसार पानी नहीं मिल रहा है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार के अधिकारियों के बीच नवम्बर के प्रथम सप्ताह में हुई बैठक में राजस्थान के कोटा बैराज से जुडे अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि 15 नवम्बर से चंबल नहर में 3 हजार क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोडा जाएगा, लेकिन अगले दिन से ही पानी की मात्रा को घटाकर 2300 क्यूसेक कर दिया गया। इसके चलते मुरैना जिले की एबीसी नहर बंद हो गई है। अगर एबीसी नहर को चालू करते हैं तो लोअर मेन कैनाल को बंद करना पडेगा।
जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री आरपी ओझा ने बताया कि मुरैना जिले के अंबाह ब्रंाच कैनाल से अंबाह, पोरसा व भिण्ड जिले के अटेर के एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाती है। लेकिन 3 नवम्बर से यह नहर बंद कर दिए जाने के कारण इस क्षेत्र की 50 हजार हेक्टेयर जमीन में गेंहू का पलेवा नहीं हो सका है। मुरैना ब्रांच कैनाल से 46 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का प्रबंधन है। लेकिन पानी की कमी के कारण अभी तक 23 हजार हेक्टेयर में अभी तक पलेवा नहीं किया जा सका है। इसके अलावा भिण्ड मेन कैनाल से होने वाली सिंचाई का 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र पलेवा से वंचित है। अधीक्षण यंत्री ओझा ने बताया कि कोटा बैराज से पानी की मात्रा को बढाकर 2572 क्यूसेक किया गया है। राजस्थान के अधिकारियों को बता दिया गया है कि चंबल संभाग के भिण्ड व मुरैना जिले का डेढ लाख हैंक्टेयर क्षेत्र सिंचाई से छूट रहा है। पानी नहीं मिलने से कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड सकती है।

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