जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई सरकार-स्पीकर, हाईकोर्ट- सुप्रीम कोर्ट से होते हुए 15वें दिन राजभवन पहुंच गई। मुख्यमंत्री गहलोत अपने समर्थक विधायकों को बाड़ाबंदी से तीन बसों में भरकर राजभवन पहुंच गए, जहां राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करने लगे और राजभवन में ही धरने पर बैठ नारेबाजी करने लगे। शुक्रवार को हुए इस पूरे घटनाक्रम ने 27 साल पुराने राजनीतिक घटनाक्रम की यादों को ताजा कर दिया।

1993 में भी हुआ था ऐसा धरना
राजभवन में इस तरह धरना-प्रदर्शन की स्थिति इससे पहले 3 दिसंबर 1993 में उस समय बनी थी, जब विधानसभा चुनाव में 95 सीटें लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद भाजपा के भैरोंसिंह शेखावत को सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया गया। शेखावत ने राजभवन में धरना दिया तो तत्कालीन राज्यपाल बलि राम भगत ने सरकार बनाने का न्योता दिया।

राजभवन में नारेबाजी पर राज्यपाल ने जताई नाराज़गी 
विधायकों के शुक्रवार दोपहर में बाड़ाबंदी से राजभवन पहुंचकर नारेबाजी करने पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने नाराज़गी जताई। राज्यपाल ने कहा, “एकाएक विशेष सत्र नहीं बुला सकते। कोरोना के फैलाव को देखते हुए विचार-विमर्श जरूरी है। विधिक राय भी ले रहे हैं, तब कोई फैसला करेंगे।” इस दौरान विधायक वहीं डटे रहे। शाम करीब 7:30 बजे राज्यपाल ने सीएम से बात की और 6 आपत्तियां जताते हुए पहले उनका निस्तारण करने को कहा। इसके बाद सीएम गहलोत ने धरना खत्म किया। रात करीब 9:30 बजे फिर विधायक दल की बैठक हुई। रात करीब 12:30 बजे तक चली इस बैठक में राज्यपाल की आपत्तियों पर क्या तय हुआ, इसकी जानकारी नहीं दी गई। सभी विधायक फिर बाड़े में लौट गए।

“महामहिम! सत्र बुलाइए, हमारे पास बहुमत है” 
अपने विधायकों के जत्थे के साथ राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा-“हमेशा विपक्ष सत्र बुलाने की मांग करता है, लेकिन यहां हम कर रहे हैं। हम कह रहे हैं कि हम सेशन बुलाएंगे, अपना बहुमत सिद्ध करेंगे, कोरोना पर बहस करेंगे, लॉकडाउन में जो तकलीफ हुई है, उस पर बहस करेंगे, पूरे हाउस को हम लोग विश्वास में लेंगे। फिर सत्र क्यों नहीं बुलाया जा रहाय़ राज्यपाल पर ऊपर से दबाव है। हमारी सरकार पूरी तरह से बहुमत में है।”

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