भोपाल | मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर राज्य की शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, उद्योग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। योजना आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में राज्य की हालत बेहद खराब है। योजना आयोग की ओर से राज्य सरकार को लिखे पत्र का हवाला देते हुए सिंह ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विकास दर को लेकर प्रचारित किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश देश में अव्वल है। इसके प्रचार पर सरकार ने जनता की गाढ़ी कमाई के 50 करोड़ रुपये फूंक डाले, जबकि वास्तविकता इससे दूर है। विकास दर के मामले में सबसे ऊपर पांडिचेरी है। विकास दर के मूल सूचकांक, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, उद्योग जैसे महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं, जिसमें मध्य प्रदेश की हालत बेहद खराब है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि नेशनल सैम्पल सर्विस ऑफिस ने भी अपनी 66वीं सर्वे रिपोर्ट में प्रदेश के शिक्षा की हालत को बदतर बताया है। इसमें मध्य प्रदेश की उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा, दोनों की स्थिति बदतर बताई गई है। मार्च 2013 को जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य प्रदेश पूरे देश में नीचे से पांच राज्यों में से एक है, जहां महिलाओं में साक्षरता सबसे कम है। सर्वे में शिक्षा की इस बदतर हालात के लिए जो कारण बताए गए हैं, उसमें सड़कों की खराब हालत, जागरूकता का अभाव, असुरक्षा की भावना प्रमुख हैं। सिंह ने कहा कि एक तरफ शिक्षा का बुरा हाल है तो 60 लाख बच्चे कुपोषित हैं। एस. आर. एस. 2011 के अनुसार 100 में से 59 शिशु आज भी जन्म लेने के बाद जीवित नहीं बचते। शिशु मृत्यु की यह दर देश में सर्वाधिक है। प्रजनन दर सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में है। 400 ऐसी स्वास्थ्य संस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जहां चिकित्सक ही नहीं हैं। पूरे प्रदेश में 3,000 चिकित्सकों की कमी है। स्त्री-पुरुष अनुपात प्रति 1,000 पर 932 से गिरकर 912 हो गया है। आज भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की 30 प्रतिशत आबादी पेयजल से वंचित है। शेष आबादी को गुणवत्तापूर्ण पानी नहीं मिल रहा। मात्र 11 प्रतिशत गांव ऐसे हैं, जहां पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति है। 23,000 ग्राम पंचायतों में से मात्र नौ प्रतिशत ग्राम पंचायतें निर्मल ग्राम बन पाई हैं। मनरेगा में मध्य प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां उपलब्ध राशि के अनुसार जितना रोजगार सृजित होना था या विकास कार्य होना था, वह नहीं हुआ।

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