भोपाल। चुनाव आयोग ने अगले साल होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मतदाता सूची का एक अक्टूबर से 30 नवंबर तक जो काम चल रहा है, उसी के आधार पर चुनाव होंगे।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह ने कलेक्टरों से कहा कि वे मतदाता सूची का काम पूरी सावधानी के साथ कराएं। जहां इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) रखने के लिए गोदाम नहीं हैं, वहां के लिए बजट प्रावधान कराकर काम करा लें। अगले साल जुलाई-अगस्त तक ईवीएम आ जाएंगी।
बैठक में कलेक्टरों ने वीवीपैट (वोटर वैरीफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल) को लेकर सवाल पूछे, जिनका उन्हें चुनाव अधिकारियों ने जवाब दिया।
बैठक में मुरैना को छोड़कर सभी कलेक्टर मौजूद थे। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि आगामी चुनाव को मद्देनजर रखते हुए की मतदाता सूची का संक्षिप्त पुनरीक्षण कराया जा रहा है। इसे आयोग ने तीन नवंबर से बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया है।
15 से 30 नवंबर के बीच बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर नाम जोड़ने के लिए आवेदन लेंगे। इसमें उन दस लाख मतदाताओं के नाम शामिल करने पर जोर रहेगा, जिनकी आयु एक जनवरी 2018 को 18 साल हो जाएगी। चुनाव से पहले यह आखिरी पुनरीक्षण कार्यक्रम है, इसलिए इसे गंभीरता से लिया जाए। कलेक्टरों को जिला निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और बूथ लेवल ऑफिसर का प्रशिक्षण पूरा कराने के निर्देश दिए।
जिन बूथ लेवल ऑफिसर के पास स्मार्ट फोन हैं, उन्हें डाटा भेजने के लिए 500 रुपए मानदेय दिया जाएगा। जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है, उन्हें इसे खरीदने के लिए डेढ़ हजार रुपए तीन साल तक हर साल दिए जाएंगे। बैठक में अधिकारियों को यह भी बताया कि चुनाव में वीवीपैट का इस्तेमाल होगा।
इसके लिए गोदाम लगेंगे, जिसकी तैयारी अभी से शुरू कर दें। भिंड, गुना, इंदौर, पन्ना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर और सतना कलेक्टरों को इसके लिए जमीन जल्द देने के लिए कहा गया। कलेक्टरों ने वीवीपैट को लेकर कई सवाल भी पूछे। इसमें मतदाता द्वारा मत देने के बाद चुनौती देने पर की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में जानने की सबसे ज्यादा जिज्ञासा रही। बैठक में संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एसएस बंसल ने प्रस्तुतिकरण दिया।